सेमरा-सी की दीवाली: जहां परंपरा समय से पहले चलती है

रायपुर। छत्तीसगढ़ के धमतरी ज़िले के भखारा क्षेत्र में स्थित गांव सेमरा-सी न सिर्फ़ अपनी सांस्कृतिक विरासत बल्कि समय से पहले त्योहार मनाने की अनोखी परंपरा के लिए जाना जाता है। यहां दीवाली बाकी देश से एक हफ्ता पहले 14 अक्टूबर को पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाई गई।
तीन बजे रात की गौरा-गौरी यात्रा
लक्ष्मी पूजा के बाद गांव में रात 3 बजे गौरा-गौरी की यात्रा निकली, जो भोर में 8 से 9 बजे के बीच सम्पन्न हुई। इसके अगले दिन यानी आज गांव में गोवर्धन पूजा की जा रही है।
परंपरा जो सपना बनकर आई
गांव वालों के अनुसार, यह अद्भुत परंपरा सैकड़ों साल पुरानी है। कहा जाता है कि गांव के देवता सिरदार देव ने एक बैगा को स्वप्न में दर्शन देकर आदेश दिया था कि गांव की खुशहाली बनाए रखने के लिए सभी त्योहार एक सप्ताह पहले मनाए जाएं। तब से यह परंपरा आस्था और श्रद्धा का केंद्र बन चुकी है।
परंपरा तोड़ने पर अनहोनी
एक बार किसी ने इस परंपरा को तोड़ने की कोशिश की, जिसका परिणाम अनहोनी घटना के रूप में सामने आया। इस वजह से आज भी गांव में इस रीति को पूरी निष्ठा से निभाया जाता है।
दीयों से जगमगाता सेमरा-सी
त्योहार से पखवाड़ा भर पहले गांव की सफाई, पुताई और सजावट शुरू हो जाती है। दीवाली की रात सिरदार देव मंदिर को आकर्षक रूप से सजाया जाता है और गांव के हर कोने में हज़ारों दीयों से रोशनी बिखरती है।
सांस्कृतिक मिलन का उत्सव
सेमरा की दीवाली सिर्फ एक त्योहार नहीं, एक सांस्कृतिक मिलन है। हर घर में 10 से 30 मेहमान आते हैं, ब्याही बेटियां भी ससुराल से लौटकर यहां त्योहार मनाती हैं। दो दिनों तक सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है।
सिरदार देव का मंदिर: आस्था का शिखर
गांव का प्रमुख आस्था स्थल है सिरदार देव मंदिर, जहां केवल पुरुषों को पूजा करने की अनुमति है। गांव का हर नया काम सिरदार देव की अनुमति और आशीर्वाद से ही शुरू किया जाता है।




