टीम इंडिया का दरवाज़ा न खुला तो नेपाल पहुंचा भरोसेमंद बल्लेबाज़ — प्रियांक पंचाल ने शुरू की नई क्रिकेटीय पारी

भारतीय क्रिकेट में जगह बनाना हर युवा का सपना होता है, लेकिन कुछ प्रतिभाएं लगातार दमदार प्रदर्शन के बावजूद भी राष्ट्रीय टीम तक नहीं पहुंच पातीं। ऐसा ही एक नाम है—प्रियांक पंचाल, वह घरेलू क्रिकेटर जिसने वर्षों तक भारत ए (India A) में शानदार प्रदर्शन किए, किंतु टेस्ट टीम की प्लेइंग इलेवन में कदम नहीं रख पाए।
लंबे इंतज़ार, कोचिंग बदलाव और अनगिनत मेहनत के बाद भी दरवाज़े नहीं खुले तो उन्होंने मई 2025 में सभी प्रारूपों से संन्यास लेकर सबको चौंका दिया। मगर उनका क्रिकेट सफर यहीं नहीं रुका — उन्होंने नई दिशा चुनते हुए नेपाल प्रीमियर लीग 2025 में शामिल होने का फैसला किया।
नेपाल की राह क्यों चुनी पंचाल ने?
पंचाल कई सीज़न से घरेलू क्रिकेट में रन मशीन रहे। उन्हें भारत की टेस्ट टीम में स्टैंडबाय तक रखा गया, लेकिन मैदान पर उतरने का मौक़ा नहीं मिला। यही अधूरापन उन्हें एक नए मंच की ओर ले गया और उन्होंने नेपाल लीग में खेलने का फैसला किया।
कर्णाली यक्स ने उन्हें अपनी बल्लेबाजी को मजबूत करने के उद्देश्य से अनुबंधित किया। इससे पहले भी पंचाल एशिया की अन्य लीगों में हिस्सा ले चुके हैं, जिनमें हांगकांग सुपर सिक्स शामिल है।
कर्णाली यक्स को मिला भरोसेमंद भारतीय अनुभव
कर्णाली यक्स पहले ही तीन विदेशी खिलाड़ियों—विलियम बेसिस्टो, जेम्स वाट और मैक्स ओ’डॉव—को शामिल कर चुकी है। अब प्रियांक पंचाल के जुड़ने से टीम की टॉप ऑर्डर बल्लेबाजी और भी मज़बूत मानी जा रही है।
टीम के निदेशक गृहेंद्र घिमिरे का मानना है कि पंचाल का अनुभव युवा खिलाड़ियों के लिए बड़ी सीख साबित होगा।
मुख्य कोच ज्ञानेंद्र मल्ला और सलाहकार कोच राजू बसनेत इस सीजन टीम को खिताब दिलाने के लक्ष्य के साथ उतरेंगे।
घरेलू क्रिकेट का चमकता सितारा, लेकिन Team India से दूर
प्रियांक पंचाल ने 127 फर्स्ट-क्लास मैचों में 8856 रन बनाए, जिनमें 29 शतक और 34 अर्धशतक शामिल हैं।
2016-17 का रणजी सीजन उनके करियर की ऊंचाई थी, जिसमें उन्होंने 1310 रन बनाए और एक तिहरा शतक भी जड़ा।
इसके बावजूद उनकी प्रतिभा को भारत की सीनियर टीम में वह मंच नहीं मिला जिसकी उन्हें उम्मीद थी। कोच बदलते रहे, चयन समितियाँ बदलीं, लेकिन पंचाल का इंतजार कभी खत्म नहीं हुआ।
नेपाली लीग में नई उम्मीद
नेपाल प्रीमियर लीग पंचाल के लिए सिर्फ एक नया टूर्नामेंट नहीं, बल्कि नया अध्याय है।
यह कदम उन खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा है जो अवसर कम मिलने के बावजूद भी खेल के प्रति अपना जुनून जिंदा रखते हैं।
संभव है कि नेपाल में प्रियांक को वह सम्मान और निरंतरता मिले जिसकी कमी भारत में महसूस हुई।



