ब्रज पहुंचते ही बदला माहौल: चुटीले अंदाज़ में हरियाणा पुलिस को धन्यवाद, यूपी में सुरक्षा पर बाबा बागेश्वर का तंज वायरल

सनातन हिंदू एकता पदयात्रा के सातवें दिन माहौल कुछ अलग ही रहा। बाबा बागेश्वर ने अपने चुटीले और बेबाक अंदाज़ में हरियाणा पुलिस को धन्यवाद देते हुए कहा कि उन्होंने सुरक्षा के मोर्चे पर बेहतरीन काम किया। उन्होंने हंसते हुए कहा—“आज से सुरक्षा यूपी पुलिस के हाथों में है… अब तो कोई डर ही नहीं है कि गाड़ी पलट जाए।” उनका यह तंज सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया।
हरियाणा से उत्तरप्रदेश में प्रवेश के दौरान भी बाबा बागेश्वर ने इसी अंदाज़ में कहा—“अब हम यूपी में आ गए हैं… यहां से तो और कोई डर नहीं है कि गाड़ी पलट जाए।” उनके इस बयान ने समर्थकों के बीच हलचल और उत्सुकता दोनों बढ़ा दी।
सूत्र बताते हैं कि पदयात्रा की सुरक्षा को लेकर प्रशासन पूरी तरह सतर्क है। 18 जोनों में बांटी गई व्यवस्था में लगभग 3000 पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं। पूरे ऑपरेशन की कमान एसीपी अनुज चौधरी के हाथों में है। हरियाणा पुलिस की सराहना करते हुए बाबा ने यूपी पुलिस से भी संतों और पदयात्रियों के निर्बाध आवागमन के लिए सहयोग की अपील की।
ब्रजभूमि में प्रवेश करते ही बाबा बागेश्वर भावुक हो उठे। उन्होंने कहा कि यहां की आत्मीयता साफ बताती है कि बांके बिहारी का आशीर्वाद यात्रा के साथ है। यात्रा के विभिन्न पड़ावों पर भारी स्वागत हुआ, और रात को आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में कपिल मिश्रा, राकेश सिंह, लक्ष्मी नारायण चौधरी और डॉ. कुमार विश्वास जैसी हस्तियों की उपस्थिति रही।
यात्रा के दौरान बाबा ने राष्ट्रगान और हनुमान चालीसा का पाठ किया तथा युवाओं से सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने की अपील की। उन्होंने कहा—“व्यक्ति महान उच्चारण से नहीं, उच्च आचरण से होता है। हम किसी को आस्तिक या नास्तिक नहीं बनाते, हम व्यक्ति को असली बनाना चाहते हैं।”
ब्रज में अपने संबोधन में उन्होंने हिंदू एकता पर जोर देते हुए कहा कि विविध जातियों का एक होना ही हिंदू धर्म की असली शक्ति है—“पांच उंगलियां जब मुट्ठी बनती हैं, तभी असरदार होती हैं।”
यात्रा के दौरान उन्होंने शहीद हेमराज के परिवार और कोसी दंगा पीड़ित सोनू सैनी की पत्नी सावित्री के साथ सड़क पर बैठकर भोजन किया। उनका संदेश साफ था—“समाज में ऐसा समय फिर कभी न आए कि किसी युवक को शहादत देनी पड़े या दंगे की आग में कोई परिवार झुलसे।” यह दृश्य प्रेम, एकता और सद्भाव का प्रतीक बन गया।
कुल मिलाकर, यह पदयात्रा हिंदू समाज को जोड़ने और सामाजिक सद्भाव का संदेश देशभर में फैलाने की एक बड़ी पहल बनकर उभर रही है।




