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कोंडागांव की योगिता मंडावी को मिला राष्ट्रीय बाल पुरस्कार

रायपुर। छत्तीसगढ़ के कोंडागांव से निकलकर योगिता मंडावी ने वह कर दिखाया, जो लाखों बच्चों के लिए मिसाल बन गया है। जूडो में शानदार प्रदर्शन के दम पर योगिता को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस के मौके पर दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित समारोह में राष्ट्रपति ने उन्हें यह प्रतिष्ठित सम्मान प्रदान किया।

योगिता की कहानी सिर्फ जीत की नहीं, बल्कि हौसले और हिम्मत की कहानी है। महज चार साल की उम्र में माता-पिता को खोने के बाद उनकी परवरिश कोंडागांव के बालिका गृह में हुई। कठिन हालात के बावजूद उन्होंने कभी अपने सपनों से समझौता नहीं किया।

केवल 13 साल की उम्र में योगिता ने खुद को एक उभरती हुई बेहतरीन खिलाड़ी के रूप में साबित किया और 14 वर्ष की उम्र से ही राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतने का सिलसिला शुरू कर दिया। जूडो में उनके लगातार शानदार प्रदर्शन ने उन्हें देश के सर्वोच्च बाल सम्मान तक पहुंचाया।

योगिता मंडावी की यह सफलता बताती है कि हालात चाहे जैसे भी हों, अगर हौसला मजबूत हो तो मंज़िल जरूर मिलती है।

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