भोपालमध्यप्रदेश
MP : सरकार बदलते ही ठंडे बस्ते में चली गई हैप्पीनेस इंडेक्स की कवायद

भोपाल
- मध्यप्रदेश के बाशिंदों की खुशहाली मापने के लिए धूमधाम से शुरू की गई हैप्पीनेस इंडेक्स की कवायद सरकार बदलते ही ठंडे बस्ते में चली गई। राज्य आनंद संस्थान के निदेशकों को मूल विभाग में लौटा दिया गया, स्टाफ के नाम पर अब दो अधिकारी ही बचे।
- विभाग का नाम पहले ही बदल चुका है। हैप्पीनेस इंडेक्स के लिए सरकार ने लाखों रुपए खर्च कर आईआईटी खड़गपुर से एमओयू किया था। कर्मचारियों को ईशा फाउंडेशन और आर्ट ऑफ लिविंग भेजकर ट्रेनिंग भी दिलाई थी, इसकी उपयोगिता अब तक साबित नहीं हो पाई।
- विधानसभा चुनाव के बाद प्रदेश का राजनीतिक परिदृश्य बदल गया, डेढ़ दशक बाद सत्ता में कांग्रेस काबिज हो गई। नई सरकार ने कार्यभार संभालने के महीने भर बाद ही आनंद विभाग का विलय नवगठित अध्यात्म विभाग में कर दिया। अब जल्दी ही लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने वाली है, चुनावी नतीजे आने के बाद ही इस योजना का भविष्य नए सिरे से निर्धारित होगा।
- राज्य आनंद संस्थान के निदेशकों को उनके मूल विभाग में लौटा दिया गया। फरवरी बीतने तक आठ-दस लोगों का स्टाफ अब महज दो अधिकारियों तक सिमट कर रह गया है। कुछ लोग रिटायर हो चुके हैं। इस वजह से हैप्पीनेस इंडेक्स की पूरी कवायद ठंडे बस्ते में है। प्रदेश की पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने इसे अपना महत्वाकांक्षी कार्यक्रम बताते हुए दावा किया था कि देश में हैप्पीनेस इंडेक्स तैयार कराने वाला मप्र पहला राज्य होगा।
- इसके लिए करीब दो साल तक लाखों रुपए खर्च कर प्रदेश में अनेक स्तर पर गतिविधियां संचालित की गईं, अधिकारी और कर्मचारियों को कोयंबटूर, बंगलुरु और पुणे भेजकर ट्रेनिंग भी दिलाई गई। आईआईटी खड़गपुर को खुशहाली मापने करीब 30 लाख रुपए का भुगतान किया गया, लेकिन यह पूरी कार्रवाई अब तक सिरे नहीं चढ़ पाई।
प्रश्नावली ही फाइनल नहीं
- बताया जाता है कि हैप्पीनेस इंडेक्स निर्धारित करने वाली प्रश्नावली को ही अंतिम स्वरूप नहीं दिया जा सका। आईआईटी खड़गपुर से प्रश्नों का हिंदी अनुवाद कराने को कहा गया था, साथ ही यह भी पूछा गया कि खुशहाली का पैमाना निकालने के पहले ‘सेंपल सर्वे” का दायरा कितना बड़ा होगा?
- ‘हैप्पीनेस इंडेक्स” के नतीजों को आधार बनाकर पूर्व सरकार ने प्रदेश की नीतियां निर्धारित करने का भी दावा किया था। यह भी बताया गया था कि देश में इस दिशा में पहल करने वाला मप्र पहला राज्य होगा। दुनिया में अब तक केवल भूटान, दुबई और यूनाइटेड नेशन ने इस क्षेत्र में काम शुरू किया है।
चुनाव के बाद नए सिरे से शुरू होगी प्रक्रिया: अर्गल
यह सही है कि ‘हैप्पीनेस इंडेक्स” का प्रोजेक्ट अब तक पूरा नहीं हो पाया, प्रक्रिया चल रही है। अब लोकसभा चुनाव के बाद ही नए सिरे से काम आगे बढ़ेगा। स्टाफ की कमी पूरी करने संस्थान ने विज्ञापन जारी किया गया है।