शीला दीक्षित की जिंदगी के वो 5 किस्से जो हमेशा याद किए जाएंगे

दिल्ली कांग्रेस की अध्यक्ष और पूर्व सीएम 81 साल की शीला दीक्षित का शनिवार को निधन हो गया. दिल्ली के एस्कॉर्ट अस्पताल में दिल का दौरा पड़ने के चलते उनकी मौत हुई है. उन्होंने दोपहर के करीब 03:55 बजे अपनी आखिरी सांस ली. वह लंबे समय से दिल की बीमारी से जूझ रही थीं.
कद्दावर नेता और दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को कांग्रेस में एक प्रभावशाली व्यक्तित्व के तौर पर देखा जाता है. लगातार तीन बार दिल्ली की मुख्यमंत्री रह चुकी शीला से जब पूछा गया कि उनके 15 साल के उनके कार्यकाल की सबसे बड़ी उपलब्धि क्या है, शीला दीक्षित ने कहा था, पहला मेट्रो, दूसरा सीएनजी और तीसरा दिल्ली की हरियाली, स्कूलों और अस्पतालों के लिए काम करना. इस सब के बीच शीला दीक्षित से जुड़े कुछ ऐसे ही किस्से जो याद किए जाएंगे.
इतनी बार देखी थी DDLJ कि घरवालों को मना करना पड़ा
शीला सिनेमा देखने की बेहद शौकीन थीं. उन्होंने शाहरुख खान की फिल्म “दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे” कई बार देखी थी. शीला ने ये फिल्म इतनी ज्यादा बार देखी थी कि घरवालों को ये कहना पड़ा था कि अब इस फिल्म को मत देखें.
15 साल की शीला पंडित नेहरू से मिलने पहुंचीं
शीला दीक्षित ने अपनी किताब ‘सिटीजन दिल्ली: माय टाइम्स, माय लाइफ’ में इस बात का जिक्र किया जब वे देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू से मिलने पैदल पहुंची थीं. वे दिल्ली में अपने घर से निकलीं और पैदल ‘तीनमूर्ति भवन’ तक गईं. तीनमूर्ति के गेट पर मौजूद गार्ड ने 15 साल की शीला से पूछा कि आप किससे मिलने जा रही हैं’ शीला ने जवाब दिया- ‘पंडितजी से!’ उसी समय जवाहरलाल नेहरू अपनी एंबेसडर कार पर सवार हो कर कहीं बाहर जाने के लिए निकल रहे थे. शीला ने उन्हें देखकर अपना हाथ हिलाया तो जवाब ने पंडित नेहरू में भी हाथ हिला कर उनका अभिवादन स्वीकार किया. उस वक्त उनकी उम्र 15 साल थी.
दिल की बात कहने के लिए शीला दीक्षित ने किया एक घंटे DTC बस का सफर
एक इंटरव्यू में शीला दीक्षित अपनी लव स्टोरी के बारे में बताती हैं कि, ‘हम इतिहास की एमए क्लास में साथ-साथ थे. मुझे विनोद कुछ ज्यादा अच्छे नहीं लगे. मुझे लगा ये पता नहीं अपने आप को क्या समझते हैं. वे मुझे एरोगेंट लगे. इसके बाद हमारी दोस्ती की शुरुआत इस तरह हुई कि हमारी एक दोस्त और विनोद का एक दोस्त प्रेमी प्रेमिका थे. हमने एक बार उनके झगड़े को सुलझाया था इसके बाद हम मिलने लगे.’
शीला और विनोद दीक्षित एक साथ अक्सर फिरोजशाह रोड घूमने जाया करते थे. एक बार डीटीसी की दस नंबर बस पर वे दोनों चांदनी चौक से गुजर रहे थे तो विनोद ने कहा कि मैं अपनी मां से कहने वाला हूं कि मैं जिस लड़की को पसंद करता हूं वो तुम हो. विनोद ने उसी दिन शीला दीक्षित के सामने शादी का प्रस्ताव रख दिया था. शुरू में विनोद के परिवार की तरफ से थोड़ा विरोध हुआ लेकिन बाद में दोनों ने शादी कर ली.
शीला दीक्षित का इंदिरा लहर और कन्नौज कनेक्शन
शीला दीक्षित के चुनावी सफर की शुरूआत 1984 में हुई थी. जहां उन्होंने पहली बार कन्नौज से लोकसभा चुनाव लड़ीं और संसद पहुंच गईं. यूपी की राजनीति में शीला दीक्षित 1984 में पहली बार कन्नौज से चुनाव लड़ा था और वह यूपी के कन्नौज संसदीय सीट से लोकसभा चुनाव जीत भी गईं थीं. लेकिन ये चुनाव इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए थे जिसमें कांग्रेस का सहानुभूति वोट मिले थे. इस लहर के बावजूद शीला लगातार तीन बार चुनाव हारीं. जिसके बाद राजीव गांधी की कैबिनेट में उन्हें संसदीय कार्य मंत्री के रूप में जगह मिली.
शीला दीक्षित को यूपी में एक आंदोलन को लेकर जेल में बिताने पड़े थे 23 दिन
शीला दीक्षित ने 1990 में महिलाओं के खिलाफ अत्याचार को लेकर किए गए आंदोलन के लिए अपने 82 सहयोगियों के साथ 23 दिन जेल में बिताए थे. मिरांडा हाउस से हिस्ट्री में मास्टर्स शीला ने संयुक्त राष्ट्र में 1984-1989 तक भारत का प्रतिनिधित्व किया. शीला 1984 में राजीव गांधी की सरकार में मंत्री बनाई गई थीं.