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बिहार की जमीन पर भी नेपाल का दावा, उधर ड्रेगन हड़प गया उसकी जमीन

नईदिल्ली, नेपाल और भारत के रिश्तों में पिछले कुछ दिनों से लगातार तनाव देखा जा रहा है, नेपाल लगातार भारत के साथ संबंधों को खराब करने पर उतारू दिख रहा है. उत्तराखंड के लिपुलेख, लिम्या धूरा और कालापानी को अपने नक्शे में दिखाने के बाद नेपाल ने बिहार के पूर्वी चंपारण जिले की 500 मीटर जमीन पर नेपाल ने अचानक अपना दावा पेश कर दिया. दरअसल, जिस इलाके में एक बांध का निर्माण कराया जा रहा है, उसे नेपाली सेना ने रुकवा दिया है. नेपाल का कहना है कि यह बांध लालबकेया नदी पर पहले से ही है. तटबंध के पुनर्निर्माण को लेकर नेपाल के लोगों के बदले रुख से भारतीय क्षेत्र के ग्रामीण आक्रोशित हैं.

दूसरी ओर नेपाल की जनता और नेपाल सीमा प्रहरी के बदले तेवर से सीमावर्ती बलुआ गुआबारी के ग्रामीणों में आक्रोश है.  स्थानीय निवासी बताते हैं कि जब से होश संभाला है, नेपाल के लोगों में ऐसा बदलाव कभी नहीं देखा है.वे बताते हैं कि नेपाल के लोगों के साथ सदियों से बेटी रोटी का संबंध रहा है.

विदेश मामलों के जानकार भी हैरत में पड़ गए कि जब नेपाल और भारत के बीच सदियों से मैत्री संबंध रहे हैं तो अचानक क्या हुआ जो नेपाल इतना अटैकिंग मोड में आ गया है और अपना नक्शा तक बदलकर भारत के इलाकों लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरापर दावा कर दिया. इसके बाद अब वह बिहार से सटे इलाके में भारत की जमीन पर भी अपना दावा ठोक रहा है.

इधर, नेपाल सरकार भारत विरोध की आड़ में उन कमियों को छिपाना चाह रही है जो उसने कर दी है और जिस कारण वह अब चीन की ग्रिप में फंसता नजर आ रहा है.नेपाल के गांवों पर कब्जा करता जा रहा चीन

चीन ने धीरे-धीरे नेपाल के गांवों पर कब्जा करना शुरू कर दिया है. यही वजह है कि वहां की कम्युनिस्ट पार्टी की ओली सरकार अपनी इसी नाकामी को छिपाने के लिए भारत से मतभेद की बातों को हवा दे रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो हाल में चीन ने नेपाल के जिस गांव में लाल झंडे गाड़ दिए हैं, वो नेपाल के उत्तरी गोरखा क्षेत्र का रुई गांव है.

दस्तावेजों में अब भी नेपाल का हिस्सा है रूई गांव

कहा जा रहा है कि गोरखा इलाके का रुई गांव अब तिब्बत के अधीन हो चुका है. वहां चीनी राष्ट्रपति के पोस्टर तक लगाए जा चुके हैं. हालांकि, हकीकत यही है कि यह गांव अभी भी नेपाल के नक्शे में शामिल है. पर जानकारी मिल रही है कि चीन ने गांव के निशान वाले सारे पिलर उखाड़ फेंके हैं, जिससे कि वह अपने गैर-कानूनी कब्जे की बात को दबा सके.

नेपाल की 36 हेक्टेयर जमीन पर हो चुका चीन का कब्जा

जानकारों की मानें तो तिब्बत क्षेत्र में नेपाल की सीमा चीन से मिलती है. देशों के बीच पूर्व से पश्चिम तक कई ऐसे पहाड़ हैं जो दोनों देशों के बीच प्राकृतिक सीमा का काम करते हैं. इसी की आड़ में चीन अपनी सीमा बदले की कोशिश करता रहता है. फिलहाल दोनों देशों के बीच छह चेक पोस्ट हैं, जिनके जरिए व्यापार होता है. सर्वे डिपार्टमेंट ने कहा है कि 11 नदियों के रास्ता बदलने से पहले ही नेपाल 36 हेक्टयर जमीन खो चुका है.

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