बीत चुके साल 2017 में समूचा प्रशासनिक अमला ग्रामीण क्षेत्रों की ओर सक्रिय रहा और गांव-गांव में महिला स्वसहायता समूह सहित कई ऐसे आधारभूत कार्य किए गए जिनके माध्यम से इस साल विकास की धारा बहुत ही तेज हो सकती है।
पिछले साल किए गए उपाय से इस साल बस्तर को हवाई सेवा की सौगात मिलेगी वहीं सुजला पंप योजना से भूगर्भीय जल को बाहर लाकर उसका उपयोग करने के लिए प्रयास तेज होंगे। इस साल ही बहुप्रतीक्षित महत्वकांक्षी बस्तर के प्रथम स्टील संयंत्र का कार्य भी सुचारू रूप से उत्पादन के क्षेत्र में प्रांरभ हो सकता है। इसके माध्यम से बस्तर के हजारों लोगों को प्रत्यक्ष और परोक्ष रोजगार प्राप्त हो सकता है। ग्रामीण क्षेत्रों में सक्रियता का यह प्रभाव रहा कि उन गांवों में भी विकास कार्य तेजी से हो सकता है वो नक्सली आतंक के कारण विकास की धारा से दूर रहे साथ ही दुर्गम क्षेत्रों में सडक़ों के निर्माण का काम भी बीते साल में तेजी सेहुआ और इस साल ये सडक़ें विकास का संवाहक बनने के लिए तैयार हैं। इसके अलावा करीब 30 हजार एकड़ वन भूमि के पट्टे भी ग्रामीणों को प्रदान किए गए हैं। इस जमीन का उपयोग कृषि की उन्नति के लिए आराम से होकर बस्तर को कृषि के मामले में अग्रणी बना सकता है। कुछ अपवादों को छोडक़र गांव-गांव में बनने वाले शौचालयों के माध्यम से स्वच्छ भारत का अभियान इस साल साकार रूप ले सकता है। इसके अलावा बस्तर में कामकाजी महिलाओं के लिए कई योजनाएं सामने आ सकती हैं, जिसमें मसालों की खेती से लेकर इसके प्रसंस्करण के उद्योग गांव-गांव में लग सकते हैं इस प्रकार बीते साल में किए गए आधार भूत उपायों से इस साल विकास का चक्र और तेज हो सकता है इसका सीधा लाभ सत्तारूढ़ भाजपा को आगामी विधानसभा चुनाव में सीटों की वृद्धि के रूप में मिल सकता है।