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वाराणसी : शव देने के बदले सफाई कर्मचारी ने मांगे 200 रुपए

वाराणसी : वाराणसी हादसे में 18 लोगों की मौत के बाद पूरे देश में शोक की लहर है. पीएम से लेकर देश भर के लोग इस घटना को लेकर अपना दुख व्यक्त कर रहे हैं. यूपी सरकार मामले में मुआवजे के साथ उच्चस्तरीय जांच के दावे कर रही है. इस बीच हादसे के कुछ घंटे बाद अस्पताल में भ्रष्टाचार में डूबे सिस्टम का वीभत्स चेहरा देखने को मिला. यहां एक सफाई कर्मचारी हादसे में मारे गए लोगों का शव देने के बदले परिजनों से 200 रुपए की मांग करता दिखा. मामले में वीडियो वायरल हुआ तो डीएम साहब ने कार्रवाई कर इतिश्री कर ली.

यूपी सरकार मामले में मुआवजे के साथ उच्चस्तरीय जांच के दावे कर रही है

बीएचयू के सर सुंदर लाल अस्पताल की मॉर्चरी में तैनात सफाई कर्मचारी ने मृतकों के परिजनों को शव देने के एवज में 200 रुपए की मांग की. जिसके बाद आक्रोशित परिजन भडक़ गए. वहां मौजूद कुछ लोगों ने मोबाइल से इसका वीडियो भी बना लिया. देखते ही देखते वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. उधर वायरल वीडियो को पता जब जिला प्रशासन को लगा तो हडक़ंप मच गया. मामले में डीएम योगेश्वर राम मिश्रा ने सफाई कर्मचारी बनारसी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है.

कर्मचारी ने मृतकों के परिजनों को शव देने के एवज में 200 रुपए की मांग की

बता दें मंगलवार शाम वाराणसी कैंट स्टेशन के सामने निर्माणाधीन पुल के दो बीम के गिरने से 18 लोगों की मौत हो गई. मामले में यूपी सरकार ने मुआवजे का ऐलान भी किया है, वहीं घटना की उच्चस्तरीय जांच बिठा दी है. लेकिन इस हादसे ने एक बार फिर प्रशासनिक लापरवाही और चूक को उजागर कर दिया है. अखिलेश सरकार में 1 अक्टूबर 2015 को चौकाघाट-लहरतारा फ्लाईओवर के विस्तारीकरण का शिलान्यास हुआ और निर्माण शुरू किया गया. तब से लेकर आज तक इस फ्लाईओवर का निर्माण विवादों में ही रहा.

पुल के दो बीम के गिरने से 18 लोगों की मौत हो गई. मामले में यूपी सरकार ने मुआवजे का ऐलान भी किया है

अखिलेश राज में भी कई बार इसकी डीपीआर बदली गई. 2017 में योगी सरकार आई तो काम जल्द पूरा करने के निर्देश दिए गए. फ्लाईओवर का निर्माण कार्य मार्च 2019 में पूरा होना था, लेकिन एक बार फिर अधिकारियों ने वाहनों के दबाव का हवाला देकर अक्टूबर 2019 तक काम को पूरा करने की मियाद बढ़ाने की मांग की.पिछले दिनों डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य भी इसका निरीक्षण करने पहुंचे थे. डिप्टी सीएम ने काम की धीमी गति को देखते हुए इसे जल्द से जल्द पूरा करने का निर्देश भी दिया था.

हवाला देकर अक्टूबर 2019 तक काम को पूरा करने की मियाद बढ़ाने की मांग की

बता दें 1710 मीटर लंबे इस फ्लाईओवर का निर्माण 30 महीने में पूरा होना था, लेकिन आज तक इस फ्लाईओवर का निर्माण कार्य पूरा नहीं हो सका है. अब इस काम को अक्टूबर 2019 में पूरा होना है. फ्लाईओवर प्रोजेक्ट की लागत 77.41 करोड़ रुपए है, जिसके अंतर्गत 63 पिलर बनने हैं, लेकिन करीब तीन साल बाद भी फ्लाईओवर विस्तारीकरण के तहत 45 पिलर ही अभी तक तैयार हो सके हैं. प्रोजेक्ट समयावधि बढऩे के बाद सेतु निर्माण निगम के गाजीपुर इकाई इस पर काम कर रही थी.

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