
1 . अब शहरों में कुष्ठ रोगी भी लड़ सकेंगे स्थानीय चुनाव, 59 साल पुराना कानून अब होगा खत्म

रायपुर । कुष्ठ रोगियों को चुनाव से रोकने का 1960-61 में कानून बनाया गया था । जिसे राजधानी रायपुर में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के प्रथम आगमन के शताब्दी वर्ष में छत्तीसगढ़ सरकार 59 साल पुराना ऐसा कानून खत्म करने जा रही है, जिससे कुष्ठ रोगियों को नगर निगमों और नगर पालिकाओं के चुनाव में हिस्सा लेने की आजादी मिलेगी।
कुष्ठ इसे खत्म करने के लिए भूपेश सरकार सोमवार से शुरू होने वाले विधानसभा के शीतसत्र में संशोधन विधेयक ला रही है। इसे मिलाकर पूरे सत्र में 10 संशोधन विधेयक पेश होंगे। इसमें एक महत्वपूर्ण संशोधन मंडी शुल्क को 50 पैसे से बढ़ाकर 3 से 5 रुपए तक करने का भी है। दरअसल कुष्ठ रोगियों को अस्पृश्य मानते हुए केंद्र सरकार ने छह दशक पहले उनके चुनाव लड़ने पर रोक लगाई थी।
2. टीकाकरण में आने वाले 900 करोड़ के खर्च को स्वास्थ्य मंत्री ने केंद्र से देने को कहा

रायपुर : स्वास्थ्य मंत्री के मुताबिक छत्तीसगढ़ की तीन करोड़ की आबादी के संपूर्ण टीकाकरण पर करीब 900 करोड़ रुपए के खर्च का अनुमान है। हम चाहते हैं कि केंद्र सरकार यह खर्च वहन करे। हेल्थ विभाग ने प्रदेश में सामुदायिक टीकाकरण के लिए अब तैयारियां शुरू कर दी है। ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि पहले और दूसरे चरण के बाद जब सामुदायिक टीकाकरण की बारी आए तो किसी भी तरह की कमी ना रह जाए। स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव ने कहा कि टीके की क्वालिटी को लेकर कोई समझौता नहीं किया जाएगा। हम चाहेंगे कि टीके की गुणवत्ता सभी पैमानों पर खरी हो।
3. छत्तीसगढ़ में सीजन की पहली शीतलहर दुर्ग-बिलासपुर और सरगुजा संभागों में कई जगह कड़ाके की सर्दी

रायपुर: प्रदेश के सभी हिस्से में कड़ाके की ठंड शुरू हो गई है। प्रदेश के ज्यादातर हिस्सों में रात का तापमान सामान्य से नीचे चला गया है। अंबिकापुर के सामरी-मैनपाट में न्यूनतम तापमान चार से पांच डिग्री पहुंच गया है। रविवार को बिलासपुर में शीतलहर चली। मैदानी इलाकों में दुर्ग सबसे ठंडा रहा और मौसम विभाग ने शीतलहर की घोषणा कर दी।
विशेषज्ञों के मुताबिक मंगलवार तक पूरे शहर में अच्छी ठंड पड़ेगी। प्रदेश में उत्तर से हवा आने का सिलसिला शनिवार से शुरू हुआ और उसी समय हिमालय की तराई में बर्फबारी शुरू हो गई। इस वजह से आई ठंडी हवा के कारण लगभग समूचा छत्तीसगढ़ ठंड की चपेट में है।
4. भाजपा के जिलाध्यक्षों के नाम का ऐलान, सभी मोर्चा की कार्यकारिणी बनाने में फिर पिछड़े

रायपुर: छत्तीसगढ़ भाजपा को संगठन में नियुक्तियों के लिए मिली दूसरी डेडलाइन 20 दिसंबर को आखिरकार दुर्ग-भिलाई के जिलाध्यक्ष का नाम तय किया गया। समन्वय बनाने के लिए जिलाध्यक्ष के साथ महामंत्री का नाम भी घोषित किया गया है। पूर्व महापौर डॉ. शिवकुमार तमेर को दुर्ग का जिलाध्यक्ष और ललित चंद्राकर को महामंत्री बनाया गया है।
वहीं, वीरेंद्र साहू को भिलाई का जिलाध्यक्ष और शंकर देवांगन को महामंत्री बनाया गया है। दुर्ग-भिलाई के साथ रायपुर ग्रामीण, बस्तर और कवर्धा की अभी कार्यकारिणी नहीं बनी है। 7 मोर्चों की प्रदेश कार्यकारिणी बन जानी थी। फिलहाल दर्जनभर प्रकोष्ठ के संयोजक भी तय नहीं हो पाए हैं। इसके बाद कार्यकारिणी बनानी होगी। इसी तरह जिलों के प्रभारी भी तय नहीं हुए हैं। इस देरी से कार्यकर्ताओं में फिर से निराशा है।
5. बिजली विभाग के ठेकेदार से मांगे 10 करोड़, नक्सल संगठन के नाम पर की मांग

रायपुर: सरस्वती नगर थाने में पुलिस ने इस मामले में एफआईआर दर्ज की है। अब सायबर सेल और नक्सल ऑपरेशन टीम की मदद से इस केस की छानबीन की जा रही है। रायपुर के ठेकेदार को नक्सल संगठन के नाम पर धमकी भरे फोन आए हैं। फोन करने वाले ने नक्सल संगठन के लिए फंड देने की बात कही। ठेकेदार से 10 करोड़ रुपए मांगे जा रहे है। उन्हें धमकाया जा रहा है। रविवार को इस मामले में शिकायत रायपुर पुलिस से की गई।
चर्चा है कि विद्युत विभाग के किसी घोटाले का जिक्र कर नक्सल संगठन के नाम से कारोबारी को फोन आ रहे हैं। केस में नक्सलियों का इनपुट होने की वजह से अब इस मामले की तह तक जाने का काम पुलिस कर रही है।
6. रायपुर के सिख समाज ने दी दिवंगत किसानों को दी श्रद्धांजलि, कहा-ये पूरे देश का आंदोलन

रायपुर : रायपुर के बूढ़ातालाब स्थित धरना स्थल पर छत्तीसगढ़ किसान-मजदूर महासंघ का अनशन पांडाल आज एक श्रद्धांजलि सभा में बदल गया। केंद्र सरकार के तीन कृषि संबंधी विवादित कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का दायरा बढ़ता जा रहा है। दिल्ली की सीमा पर चल रहे आंदोलन के दौरान दिवंगत किसानों के सम्मान में छत्तीसगढ़ सिख समाज के महिला-पुरुष बड़ी संख्या में पहुंचे। इसमें रायपुर की गुरुद्वारा प्रबंधन समितियों के प्रतिनिधि भी शामिल थे।
किसानों, कई सामाजिक-राजनीतिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों और जनसंगठनों ने किसान आंदोलन में विभिन्न वजहों से मरे 30 किसानों को बलिदानी और शहीद बताया। उनका कहना था, अब यह आंदोलन केवल किसानों का नहीं है। यह पूरे देश का आंदोलन बन गया है।