छत्तीसगढ़राजनांदगांव

Khairagarh के स्व. राजा Devvrat Singh का Udaipur Palace के बाद Kamal Palace भी हुआ सील

Khairagarh के स्व. राजा Devvrat Singh का Udaipur Palace के बाद Kamal Palace भी हुआ सील ।4thEyeNews। राज परिवार की इस लड़ाई से खैरागढ़ प्रशासन भी परेशान हो चुका है. और उसे सख्त फैसले लेने को मजबूर होना पड़ रहा है. छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ के विधायक व दिवंगत राजा देवव्रत सिंह (Devvrat Singh) की संपत्ति विवाद को लेकर प्रशासन ने खैरागढ़ (Khairagarh) स्थित कमल विलास पैलेस (Kamal Vilas Palace) को भी सील कर दिया है. राज परिवार में बढ़ते संपत्ति विवाद को देखते हुए, प्रशासन ने कमल विलास पैलेस में ताला लगाने का फैसला लिया. इससे पहले उदयपुर स्थित महल को विवादों के चलते पहले ही सील किया जा चुका है.

Khairagarh Palace Devvrat singh

जब किसी के पास करोड़ों की संपत्ति हो और वो अचानक दुनिया से विदा हो जाए, तब उसके पीछे कितने विवाद खड़े हो सकते हैं. इसका सबसे बड़ा उदाहरण छत्तीसगढ़ का ये राजघराना है. जहां संपत्ति की लड़ाई सड़क पर आ चुकी है. हर दिन नए विवाद हो रहे हैं. इस दौरान परिवार के सदस्य न सिर्फ एक-दूसरे पर कीचड़ उछाल रहे हैं, बल्कि करोड़ों की संपत्ति पर हर कोई अपना-अपना दावा भी ठोक रहा है.

khairagarh kamal palace

दिवंगत देवव्रत सिंह की पत्नी विभा सिंह और देवव्रत सिंह के पुत्र आर्यव्रत सिंह और बेटी शताक्षी सिंह के बीच चल रहे इस विवाद को लेकर, 30 दिसंबर 2021 को उदयपुर स्थित महल को खोलने की कवायद की गई थी. लेकिन देर रात विवादों के बीच आक्रोशित ग्रामीणों ने पुलिस और गाड़ी में पथराव कर दिया. इसके बाद प्रशासन ने कड़ा फैसला लिया और उदयपुर के महल को 30 दिसंबर को ही सील कर दिया. लगातार बढ़ रहे संपत्ति विवाद को देखते हुए खैरागढ़ स्थित कमल पैलेस को भी सील किया गया. आपको बता दें कि कमल पैलेस के कमरे में राजघराने की अमूल्य वस्तुए है.

Devvrat singh Khairagarh


इसी बीच दिवंगत देवव्रत सिंह की बहन ने भी संपत्ति पर अपना दावा ठोक दिया है. उनकी छोटी बहन आकांक्षा सिंह ने कहा है कि मैं भी संपत्ति की हकदार हूं. प्रशासन ने मुझे किसी भी प्रकार का कोई नोटिस नहीं दिया और कमल पैलेस को सील कर दिया. उन्होने दावा किया है कि संपत्ति पर मेरी भी 25% की हिस्सेदारी है. मैंने इस पर आपत्ति लगाई है क्योंकि मेरी भी खेती किसानी है.
कुल मिलाकर राज परिवार की ये लड़ाई अब पूरी तरह से सड़क पर आ चुकी है. जहां परिवार के सदस्यों में न तो एक दूसरे के लिए सम्मान है. न ही स्वर्गीय राजा देवव्रत सिंह के लिए कोई संवेदनाएं. सभी की चिंता है तो बस इतनी, कि करोड़ों की इस संपत्ति में से उनका हिस्सा कैसे बड़ा हो सकता है.

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