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छत्तीसगढ में घोषणा पत्र पर सियासी बखेड़ा.

रायपुर । छत्तीसगढ़ में इस साल विधानसभा के चुनाव होने हैं। विधानसभा चुनावों को लेकर कांग्रेस ने हेल्थ मिनिस्टर टीएस सिंहदेव को राज्य का उप मुख्यमंत्री नियुक्त किया है। ऐसा दावा किया गया कि उप मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद कांग्रेस में बढ़ती दूरियां कम होंगी। इसी बीच टीएस सिंहदेव ने एक बार फिर से बड़ा बयान दिया । सिंहदेव के इस बयान के बाद कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। सिंहदेव ने कहा कि वो विधानसभा चुनावों के लिए घोषणा पत्र समिति से दूर रहेंगे। बता दें कि 2018 में कांग्रेस ने जो घोषणा पत्र जारी किया था उसके प्रमुख टीएस सिंहदेव ही थे।

मीडिया से बात करते हुए टीएस सिंहदेव ने घोषणा पत्र समित से दूर रहने की इच्छा जाहिर की। उन्होंने कहा कि अब इतना समय नहीं बचा है कि घोषणा पत्र समिति के लिए सभी से बात की जा सके। टीएस सिंहदेव ने कहा कि मैंने बता भी दिया है कि मैं घोषणा पत्र समिति में नहीं रहना चाहता हूं। हालांकि उन्होंने ये भी साफ किया है कि घोषणा समिति में बतौर सदस्य या फीडबैक देने के लिए वो हमेशा मौजूद रहेंगे।

वही मंत्री टीएस सिंहदेव के कांग्रेस के घोषणा पत्र समिति में नहीं रहने वाले बयान पर पूर्व मंत्री रामविचार नेताम ने तंज कसा है. पूर्व मंत्री राम विचार नेताम ने कहा कि, कांग्रेस के घोषणा पत्र समिति के अध्यक्ष रहे टीएस सिंहदेव अब घोषणा पत्र समिति के अध्यक्ष तो दूर सदस्य भी नहीं रहना चाहते. सिंहदेव समझ गए हैं कि, किस मुंह को लेकर जनता के बीच जाएंगे, जनता के साथ धोखा हुआ है. कांग्रेस ने धोखे से सरकार बनाई है. घोषणा पत्र का पालन नहीं हुआ है. वादा खिलाफी की गई है.आगे रामविचार नेताम ने कहा, जनता को ठगा गया है. रोज़गार के नाम पर, नियमितीकरण के नाम पर, बेरोज़गारी भत्ता के नाम पर, आवास के नाम पर जैसे घोषणा कर वादा खिलाफी किया गया है.

टीएस बाबा के घोसना पत्र के मामले से दूर रहने का असर क्या कांग्रेस के घोसना पत्र में दिखेगा? क्या इस बार भी कांग्रेस का घोसना पत्र दोबारा कांग्रेस को सत्ता में बनाए रखने में मददगार साबित होगा

 

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