नागरिकता बिल इन राज्यों में बेअसर

नागरिकता बिल-CAB 2019 लोकसभा में पारित हो गया| अब राज्यसभा से भी पास हो गया है। वहीं उत्तर भारत के कईं राज्यों में नागरिकता बिल का जमकर विरोध हो रहा है।
इसमें जहां पूरे अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, मिजोरम, पूरे ही मेघालय को इससे बाहर रखा गया है| वहीं असम और त्रिपुरा के कुछ हिस्सों को भी इसके प्रभाव से अलग रखा गया है। हालांकि, इसके दायरे में पूरा मणिपुर आ रहा है| लेकिन उम्मीद की जा रही है कि इसके लिए सरकार कोई विशेष घोषणा कर सकती है।
बिल के अनुसार असम, मेघालय, मिजोरम, त्रिपुरा के ट्रायबल इलाके जो संविधान के छठे शेड्यूल में आते हैं| उनमें बिल से जुड़ कुछ भी लागू नहीं होगा| जो इलाका बंगाल इंस्टर्न फ्रंटीयर रेगूलेशन, 1873 के तहत द इंटर लाइन में नोटिफाइड है। इन सभी राज्यों में Inner Line Permit सिस्टम लागू है इसके तहत नहीं आते।
क्या है छठा शेड्यूल
Articles 244(2) और 275(1) में छठे शेड्यूल की जो परिभाषा कही गई है| उसके अनुसार असम, मेघालय, त्रिपुरा और मजिोरम में अटोनॉमस डिस्ट्रिक्ट काउंसिल को विशेष अधिकार देता है। यह काउंसिल इसके बाद यह अधिकार रखती है| कि वो अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाले इलाकों में जरूरत के अनुसार कानून बना सकते हैं| जो इन ट्राइबल इलाकों के विकास की बात करते हों। मिजोरम आईएलपी में आता है वहीं अन्य तीन राज्य छेठे शेड्यूल के तहत आते हैं।
जेएनयू के प्रोफेसर लाल खान पिआंग के अनुसार| त्रिपुरा की तरह मणिपुर भी एक रियासत थी| जब इसे भारत में शामिल किया गया तो इन्हें छठे शेड्यूल वाली स्कीम से बाहर कर दिया। इसके बाद 1984 में छठा शेड्यूल त्रिपुरा में के ट्राइबल इलाकों में लागू किय गया| कहा गया कि इसे जल्द मणिपुर में बढ़ाया जाएगा। लेकिन ऐसा कभी नहीं हो पाया।
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