जगदलपुर । गोठानों में जनभागीदारी एवं गोठान प्रबंधन तथा संचालन हेतु एक दिवसीय जिला स्तरीय प्रशिक्षण कार्यक्रम शुक्रवार को शहीद गुण्डाधुर कृषि महाविद्यालय ऑडिटोरियम में किया गया। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री के सलाहकार योजना नीति, कृषि एवं ग्रामीण विकास प्रदीप शर्मा ने कहा कि गोठान योजना की सराहना विश्व स्तर पर हो रही है। गोठान के माध्यम से बस्तर के गाँव की महिलाओं को आर्थिक रूप से सक्षम बनाते हुए बस्तर को हरा-भरा बनाना है।
शर्मा ने कहा कि गोठान योजना के प्रारंभ में अधिकांश लोगों को आशंका थी कि बस्तर में गोठान नहीं चलेगा क्योंकि यहाँ जंगल अधिक है। सबसे अच्छा गोठान एवं स्वावलंबी गोठान बस्तर जिला में बना है। गोठान का मुख्य उद्देश्य गांव को बचाना है। गोबर खाद का उपयोग पुनः खेतों में किया जाना है। वर्तमान में अधिकांशतः रासायनिक खादों का उपयोग हो रहा है। गोबर खाद का उपयोग कर जमीन की उर्वर क्षमता को बढ़ानी है।
बस्तर के किसान गोबर खाद का अधिक उपयोग कर रहे हैं। वर्मी कम्पोस्ट खाद का ज्यादा से ज्यादा उठाव किया गया है। यहां गोठानों में खाद का विक्रय से औसतन 01 लाख रुपए प्रति गोठान समिति के रूप में जमा किया है। इस राशि का उपयोग गोठान में शेड या आवारा पशु को चराने के लिए चरवाहा रख सकते हैं।
उन्होंने कहा कि गोबर से वर्मी कम्पोस्ट बनाने में गांव की महिलाओं को गोबर खरीदी का लाभ मिला, साथ ही गोबर बेचने वाले को भी आर्थिक लाभ मिला। गोठान समिति को वर्मी कम्पोस्ट का खाद बनाने पर जोर देने की आवश्यकता बताई। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीईओ जिला पंचायत प्रकाश सर्वे ने बताया कि जिले में 327 गोठन संचालित है जिनकों गोठान समिति द्वारा बेहतर क्रियान्वयन किया जा रहा है।