छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ में बस्तर है सत्ता की चाबी

छत्तीसगढ़ में पहले चरण में बंपर वोटिंग हुई हैl बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही बंपर वोटिंग को अपने पक्ष में ज्यादा मतदान मान रही हैंl वहीं मतदान के बाद अब लोग भी इस बात की गणना में लग गए हैं कि पहले चरण की 20 सीटों में किसे कितनी सीटें मिलेंगी। सबकी अलग अलग राय है। इंटेलीजेंस इनपुट ने भी अपना आकलन किया है, लेकिन ये तय है कि स्थिति पहले जैसी नहीं है। वहीं पहले चरण में 2 स्पष्ट संकेत मिले हैं।

पहला ये कि चुनावों में नक्सल वारदात अब बीते जमाने की बात होती जा रही है। पूरे मतदान की प्रक्रिया में नारायणपुर और कांकेर के कुछेक इलाकों से नक्सली हमले की खबर ज़रूर आई, अन्यथा पहला चरण शांतिपूर्ण ढंग से हो गया। दूसरा ये कि हम जिन्हें नक्सल प्रभावित क्षेत्र या आदिवासी क्षेत्र कहते हैं, वे वोटिंग के मामले में ज्यादा जागरूक हैं। कोंटा और बीजापुर को छोड़ दें, तो ज्यादातर इलाकों में 70 फीसदी के आसपास या इससे ज्यादा वोटिंग हुई है।

पिछले चुनावों की बात करें, तो इन इलाकों में 80 फीसदी तक वोटिंग हुई थी। ये बस्तर का ट्रेंड रहा है। कि जब वोटिंग होती है, तो एक तरफा होती रही हैl इस के 2 मायने हो सकते हैंl पहला तो यह कि आदिवासियों का वोट जब पड़ता है, तो तकरीबन एक तरफ ही पड़ता है। चाहे वो भाजपा हो या कांग्रेस। 2003 में भाजपा को 9 कांग्रेस को 3, 2008 में भाजपा को 11 और कांग्रेस को 1 और 2013 में भाजपा को 4 तो कांग्रेस को 8 सीटें मिलीं।

2018 में मामला पूरी तरह पलटकर 11 कांग्रेस और 1 भाजपा हो गया। दूसरा ये आंकड़े इस मिथक को भी तोड़ते हैं कि सत्ता की चाबी बस्तर से होकर निकलती है। 2013 में कांग्रेस को बस्तर संभाग से 8 सीटें मिली और भाजपा को 4 सीटें, लेकिन सरकार भाजपा ने बनाई। ये कोई फॉर्मूला नहीं हो सकता कि बस्तर में ज्यादा सीटें जीतने वाला सरकार बनाएगा। यह तो 90 सीटों की वोटिंग के बाद ही समझ में आ सकेगा।

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