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नईदिल्ली: सुप्रीम कोर्ट से आसाराम को नहीं मिली राहत

नई दिल्ली ,  गुजरात सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी कि आसाराम बापू से जुड़े दुष्कर्म मामले में 29 जनवरी से पीडि़ता के बयानों की जांच होगी। इस पर शीर्ष कोर्ट ने आसाराम की जमानत याचिका पर नौ सप्ताह तक सुनवाई स्थगित कर दी और कहा कि पीडि़ता की जांच के बाद मामले में सुनवाई की जाएगी।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 15 जनवरी को आसाराम से जुड़े दुष्कर्म मामले में जानकारी मांगी थी और गुजरात सरकार से इस बारे में एक रिपोर्ट सौंपने को कहा था। आसाराम के वकील ने कोर्ट से कहा था कि गुजरात के मामले में 92 गवाहों में से 22 की जांच की गई है। उनमें से 14 को हटा दिया गया है और अन्य की जांच की आवश्यकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने देरी को लेकर जाहिर की नाराजगी
28 अगस्त को शीर्ष कोर्ट ने दुष्कर्म के मामले में देरी को लेकर नाराजगी जाहिर की थी और राज्य सरकार को रिपोर्ट दर्ज करने के लिए कहा था। पिछले साल 12 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात की अदालत से आसाराम के खिलाफ सूरत स्थित दो बहनों द्वारा दर्ज यौन उत्पीडऩ के मामले में अभियोजन पक्ष के गवाहों की रिकॉर्डिंग की जांच को तेज करने के लिए कहा था।
आसाराम पर दर्ज यौन उत्पीडऩ के मामले
इससे पहले शीर्ष अदालत ने आसाराम को राजस्थान और गुजरात में दर्ज दो यौन उत्पीडऩ मामलों के विभिन्न आधारों पर जमानत देने से इनकार कर दिया था। दो सूरत में रहने वाली बहनों ने आसाराम और उनके पुत्र नारायण साई के खिलाफ बलात्कार सहित अलग-अलग मामले में शिकायत दर्ज करवाई थी।
बड़ी बहन ने अपनी शिकायत में कहा था कि 2001 से 2006 के दौरान जब वह दोनों बहनें अहमदाबाद के आश्रम में रह रही थी तब आसाराम ने उनका यौन शोषण किया था। राजस्थान मामले में एक किशोर लडक़ी ने जोधपुर के पास मणई गांव में आश्रम में आसाराम पर यौन उत्पीडऩ का आरोप लगाया था।
2013 में आसाराम को किया था गिरफ्तार
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 18 नवंबर को आसाराम से संबंधित दुष्कर्म के मामलों में गवाहों पर हमलों और कथित हत्या की सीबीआई जांच की मांग करने वाली याचिका पर केंद्र और पांच राज्यों की प्रतिक्रिया मांगी थी। आसाराम को 31 अगस्त 2013 को जोधपुर पुलिस ने गिरफ्तार किया था और तब से वह जेल में है।
 

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