आचार संहिता लागू होने से पहले विकास के योजनाओं को हरी झंडी

एयर स्ट्राइक के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रवाद के साथ-साथ विकास के मुद्दे को लेकर 2019 के चुनाव में उतरने की योजना बनाई है. यही वजह है कि मोदी सरकार ने 70 दिन के चुनावी समर में उतरने और चुनावी आचार संहिता लागू होने से पहले विकास के योजनाओं को हरी झंडी दी. आखिरी तीन हफ्तों में अपने कैबिनेट में 70 बड़े फैसलों को मंजूरी दी. इतना ही नहीं आखिरी तीन दिनों में 78 अधिसूचनाएं जारी की हैं.
प्रधानमंत्री और उनके कैबिनेट मंत्री जहां एक ओर तेजी से विकास योजनाओं का उद्घाटन कर रहे थे और आधारशिला रख रहे थे. वहीं, परदे के पीछे से विभिन्न मंत्रालय 78 अधिसूचनाओं को आगे बढ़ा रहा था ताकि बजट घोषणाओं और नीतियों को लागू करने में जुटे हुए थे. हालांकि सरकार ने कई समितियों के कार्यकाल को समाप्त कर दिया है और कुछ को दो साल का विस्तार देने का काम किया है.
चुनावी आचार संहिता से पहले के आखिरी तीन दिनों में जो 78 अधिसूचनाएं जारी की हैं. उनमें एक बड़ा हिस्सा सड़क परिवहन मंत्रालय और राजमार्गों की भूमि अधिग्रहण से संबंधित है. इन्हें अगर समय पर नहीं किया गया तो सड़क परियोजनाओं को रोका जा सकता है. सरकार ने अपने बजट वादों को पूरा करने के लिए अधिसूचना को जारी किया है.
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने घुमंतू और अर्ध घुमंतू समुदायों के लिए विकास और कल्याण बोर्ड का गठन किया. इसका वादा पीयूष गोयल ने अपने बजट भाषण में किया था. राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग, जिसका तीन साल का कार्यकाल 31 मार्च को समाप्त हो रहा था. चुनाव तारीखों के ऐलान से कुछ घंटे पहले ही एक साल का विस्तार दे दिया है.
मोदी सरकार की आखिरी कैबिनेट बैठक 7 मार्च हुई. इस कैबिनेट बैठक में कई अहम फैसलों को मंजूरी दी गई. दलित, आदिवासियों और ओबीसी समुदाय के लिए 13 प्वाइंट रोस्टर को बदलकर 200 प्वॉइंट रोस्टर के लिए अध्यादेश को मंजूरी दी गई. इसके अलावा दिल्ली मेट्रो फेज 4 के लिए तीन नई लाइनें एरो सिटी से तुगलकाबाद, आरके आश्रम से जनकपुरी वेस्ट और मौजपुर से मुकुंदपुर सहित 18 फैसलों को कैबिनेट की मंजूरी दी.
वहीं, फरवरी में हुई दो कैबिनेट की बैठकों में करीब 50 फैसलों को मुहर लगी थी. 28 फरवरी को हुई कैबिनेट में 27 फैसले पारित किए और 19 फरवरी को बैठक में 23 फैसलों को हरी झंडी मिली थी. इसके अलावा प्रमुख फैसलों में दिल्ली की कई अनाधिकृत कॉलोनियों को अधिकृत करने की सिफारिशों करने वाली समिति शामिल थी.