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नईदिल्ली : आप के 20 विधायक अयोग्य घोषित

नई दिल्ली  :   चुनाव आयोग ने लाभ के पद के मामले में श्आपश् के 20 विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया है और इस फैसले को मंजूरी के लिए मंजूरी के लिए भेज दिया गया है।
चुनाव आयोग ने आम आदमी पार्टी (आप) के 20 विधायकों के लाभ के पद से जुड़े मामले पर उन्हें अयोग्य करार  दते हुए अपनी सिफारिशें राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को आज भेज दीं। आयोग ने राष्ट्रपति को भेजी गयीं अपनी सिफारिशों में आप के इन 20 विधायकों को अयोग्य घोषित करने का अनुरोध किया है। चुनाव ने इस मामले में 21 विधायकों को नोटिस जारी किया था लेकिन जरनैल सिंह पहले ही पार्टी से इस्तीफा दे चुके हैं। अब राष्ट्रपति इस पर अपना अंतिम फैसला सुनाएंगे। अगर राष्ट्रपति आयोग की सिफारिश पर मुहर लगा देते हैं और विधायकों को अयोग्य घोषित करने का आदेश जारी करते हैं, तो संभावना है कि दिल्ली में इन 20 सीटों पर दोबारा चुनाव हो सकते हैं। हालांकि 20 सदस्यों की सदस्यता जाने के बाद भी केजरीवाल सरकार बची रहेगी क्योंकि आप 67 सीटों के बहुमत के साथ सत्ता में आई है।
हाईकोर्ट ने लगाई आप विधायकों को फटकार
आम आदमी पार्टी ने चुनाव आयोग द्वारा 20 विधायकों को लाभ के पद के मामले में अयोग्य ठहराए जाने के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी। सुनवाई के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट ने पूरे मामले पर चुनाव आयोग से जवाब मांगा है। कोर्ट ने पूछा है कि क्या राष्ट्रपति को कोई सलाह दी गई है? साथ ही आप को फटकार लगाते हुए कोर्ट ने कहा कि चुनाव आयोग के नोटिस के बाद भी आपने जवाब नहीं दिया। बुलाने पर भी नहीं गए तो चुनाव आयोग आदेश देने के लिए स्वतंत्र है। कोर्ट में अर्जी दाखिल अपनी अर्जी में आप ने कहा कि आयोग ने उनकी पार्टी का पक्ष नहीं सुना। आप नेता सौरभ भारद्वाज ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि यह सब उनके इशारे पर हुआ है। सौरभ ने कहा कि जिस अधिकारी ने यह फैसला सुनाया वो मोदी के खास है। चुनाव आयुक्त ज्योति पर आरोप लगाते हुए आप नेता ने कहा कि वे मदी का कर्ज चुकाना चाहते थे।
क्या है पूरा मामला
दिल्ली सरकार ने मार्च 2015 में आप के 21 विधायकों को संसदीय सचिव बनाया था। इसको लेकर भाजपा और कांग्रेस ने सवाल उठाए थे। प्रशांत पटेल नाम के शख्स ने राष्ट्रपति के पास याचिका लगाकर आरोप लगाया था कि ये 21 विधायक लाभ के पद पर हैं, इसलिए इनकी सदस्यता रद्द होनी चाहिए। दिल्ली सरकार ने दिल्ली असेंबली रिमूवल ऑफ डिस्क्वॉलिफिकेशन ऐक्ट-1997 में संशोधन किया था। इस विधेयक का मकसद संसदीय सचिव के पद को लाभ के पद से छूट दिलाना था, जिसे तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने नामंजूर कर दिया था। दूसरी ओर, केंद्र सरकार ने भी विधायकों को संसदीय सचिव बनाए जाने के फैसले का विरोध किया था और दिल्ली हाईकोर्ट में आपत्ति जताई थी। केद्र का कहना था कि  दिल्ली में सिर्फ एक संसदीय सचिव हो सकता है, जो मुख्यमंत्री के पास होगा। इन विधायकों को यह पद देने का कोई संवैधानिक प्रावधान नहीं है।
केजरीवाल सरकार कई संकट में उलझी
अगर राष्ट्रपति चुनाव आयोग के फैसले पर मुहर लगा देते हैं तो केजरीवाल सरकार इन बड़े संकटों में घिर सकती है। अपनी साफ सुथरी छवि के लिए जाने वाले दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की छवि को इस फैसले से बड़ा नुकसान हो सकता है। विपक्ष को केजरीवाल पर हमला करने का सीधा मौका मिल जाएगा क्योंकि इस बार उनके विधायकों पर गैरकानूनी ढंग से पद के दुरुपयोग का ना सिर्फ आरोप लगा है बल्कि उस पर मुहर भी लग गई है। भाजपा की केंद्र में पूर्ण बहुमत की सरकार है और राष्ट्रपति भी भाजपा द्वारा ही चुना गया है। ऐसे में अब आम आदमी पार्टी के पास बचने के विकल्प काफी कम बचें हैं। अगर 6 महीने के अंदर उपचुनाव होते हैं तो विपक्षी को आप पार्टी पर हमला करने का बड़ा हथियार मिल जाएगा। विपक्षी यह आरोप लगा सकता है कि पार्टी ने सत्ता का उपयोग अपने फायदे के लिए किया और जिन विधायकों को मंत्री नहीं बना सके उन्हें फायदा पहुंचाने के लिए गैर कानूनी तरीका अपनाया। विधायकों के अयोग्य घोषित हो जाने के बाद केजरीवाल या पार्टी के अंदर पनप रहे भ्रष्टाचार पर आवाज बुलंद करने वालों के दावों को बल मिल सकता है। आप के सदस्य रहे योगेंद्र यादव, प्रशांत भूषण समेत कुमार विश्वास और पार्टी से निकाले गए कपिल मिश्रा भी पार्टी के अंदर के भ्रष्टाचार पर अपनी आवाज और बुलंद कर सकते हैं।
भाजपा व कांग्रेस ने केजरीवाल से मांगा इस्तीफा
दिल्ली की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों की सदस्यता जाना लगभग तय है। सूत्रों के अनुसार चुनाव आयोग ने इन 20 विधायकों को अयोग्य ठहराने की सिफारिश की है। चुनाव आयोग का ये फैसला राष्ट्रपति कार्यालय को भेजा जाएगा, वहीं से इस फैसले पर आखिरी मुहर लगाया जाएगा।
कपिल मिश्रा ने साधा निशाना
वहीं भाजपा ने केजरीवाल सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सीएम को अब नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे देना चाहिए उन्हे इस पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। वहीं दिल्ली कांग्रेस ने भी चुनाव आयोग के फैसले का स्वागत किया है। कांग्रेस नेता और पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने भी केजरीवाल से इस्तीफा देने की मांग की है। वहीं आप के बागी नेता कपिल मिश्रा ने केजरीवाल को घेरते हुए कहा कि वह पैसे के लालच में अंधे हो चुके है। सिर्फ एक आदमी के चक्कर में पूरी पार्टी की बदनाम हो रही है और आप विधायकों की सदस्यता पर खतरा मंडरा रहा है।
अजय माकन ने उठाई थी मांग
बता दें कि इस मामले में दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय माकन ने पिछले वीरवार को मुख्य चुनाव आयुक्त अचल कुमार जोति से मुलाकात की थी। इस दौरान माकन ने आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को कथित रूप से संसदीय सचिव के लाभ के पद पर काबिज रहने के कारण जल्द से जल्द अयोग्य ठहराने की मांग की थी। कांग्रेस ने इस मामले में देरी को लेकर सीईसी को अवगत कराया क्योंकि ये मामला मई 2015 से लंबित है। अजय माकन ने इस संबंध में सीईसी एके ज्योति को एक ज्ञापन भी दिया था।
लाभ पद मामले की टाइमलाइन पर एक नजर
-8 सितंबर को इस मामले में हाईकोर्ट ने 21 विधायकों की नियुक्ति को अवैध ठहरा दिया था।
-जून 2016 में में अधिवक्ता प्रशांत पटेल ने इस मामले को चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज विधायकों की सदस्यता खत्म करने की मांग की थी।
-आप के विधायकों ने चुनाव आयोग में हाईकोर्ट के आदेश की दलील पेश कर अर्जी दी थी कि इससे हाईकोर्ट में चल रहे मामले पर असर पड़ेगा।
-याचिकाकत्र्ता  प्रशांत पटेल ने दलील पेश की थी कि सितंबर तक इन विधायकों ने लाभ पद का फायदा उठाया था लिहाजा इन पर केस चलना चाहिए।
-चुनाव आयोग ने दोनों पक्षों की दलील सुनते हुए 23 जून को आप विधायकों की अर्जी को खारिज करते हुए मामला चलाने का आदेश दिया।
-चुनाव आयोग ने 19 जनवरी 2018 को 20 विधायकों को अयोग्य घोषित करते हुए अपना फैसला राष्ट्रपति को भेज दिया है।
राष्ट्रपति ने दी मंजूरी?
चुनाव आयोग ने लाभ के पद के मामले में श्आपश् के 20 विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया है। आयोग ने इस फैसले को मंजूरी के लिए मंजूरी के लिए भेजा था, जिस पर राष्ट्रपति के पास मंजूरी दिया गया है। सूत्रों के हवाले से जानकारी मिली है कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की इस फैसले पर मुहर लग चुकी है। इसके बावजूद 20 विधायकों के अयोग्य होने के बाद भी दिल्ली में आप की सरकार बची रहेगी। दिल्ली विधानसभा में विधायकों की कुल संख्या 70 है जिसमें 67 आप के हैं। 20 के अयोग्य होने के बवजूद 47 विधायक रह जाएंगे जो बहुमत के लिए काफी है।     
 

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