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कांग्रेस के पुराने चुनावी हथियार पर अब भाजपा की नजर ?, शाह ने दे दी हरी झंडी

रायपुर । छत्तीसगढ़ में शराबबंदी एक बड़ा सियासी मुद्दा बनने जा रहा है, पिछले चुनाव में कांग्रेस ने शराबबंदी का वादा कर, महीलाओं की खूब सहानुभूति बटोरी थी, लेकिन कांग्रेस के लिए शराबबंदी करना आसान नहीं रहा, और उसका कार्यकाल खत्म होने को है, लेकिन शराबबंदी पर अबतक कांग्रेस कोई फैसला नहीं कर पाई है, ऐसे में भाजपा अब इसी मुद्दे को हथियाना चाहती है । जिससे वो महिलाओं को अपने पाले में कर सके ।

पिछली बार सत्ता में आई कांग्रेस के लिए ये वादा सरकार बनाने के लिए नींव की तरह काम कर गया, पर अब तक प्रदेश में शराबबंदी लागू हुई नहीं। खासकर महिलाएं आज भी इस मुद्दे को लेकर गंभीर हैं । भाजपा अब इस तकलीफ का मरहम अपने दावों के जरिए जनता के बीच पहुंचा रही है। कोशिश हो रही है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में महिलाओं को इस मुद्दे पर अपने साथ लाने की।

हाल ही में छत्तीसगढ़ पहुंचे अमित शाह ने भी कहा कि भाजपा के कार्यकाल में आंशिक शराबबंदी शुरू की गई थी । अमित शाह और बीजेपी की ओर से कांग्रेस सरकार के खिलाफ जारी किए गए आरोप पत्र में शराबबंदी, आवास योजना, धर्मांतरण, गौठान, डीएमएफ घोटाला और किसान, कानून व्यवस्था जैसे कई अहम मुद्दे शामिल हैं।

बताया जा रहा है कि कांग्रेस सरकार की बड़ी नाकामियों में शराबबंदी अहम है। भाजपा में शामिल हो चुके पूर्व आईएएस गणेशशंकर मिश्रा ने अपने प्रशासनिक काल के दौरान आंशिक मद्यनिषेध की शुरुआत कर दी थी । जून में धरसींवा विधानसभा में मांढर गांव में शराबबंदी पर वादाखिलाफी के विरोध में बीजेपी ने सभा की थी। इस सम्मेलन में बड़ी संख्या में महिलाओं ने इकठ्ठा होकर वादाखिलाफी के विरोध में निंदा प्रस्ताव पारित किया था ।

कुल मिलाकर पिछली बार शराबबंदी का जो मुद्दा था, जिसके जरिये कांग्रेस ने महिलाओं में पैठ बनाई थी, अब उसी शराबबंदी के जरिये भाजपा भी महिला वोट बैंक पर अपनी नजरें गढ़ाए बैठी । लेकिन देखना ये होगा कि क्या शराबबंदी के मुद्दे पर महिलाएं, भाजपा के साथ खड़ी होंगी या नहीं ।

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