
भारतीय जनता पार्टी छत्तीसगढ़ ने पूरे प्रदेश में विरोध प्रदर्शन किया . रायपुर की सड़कों पर भी भाजपा के शासन के दौरान दिखाई न देने वाले, पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व मंत्री, हाथों में तख्तियां लेकर दिखाई दिए . वैसे ये लोकतंत्र के लिए अच्छी बात है, कि जनता चाहे तो आपको सर आंखों पर बिठाए और वो चाहे तो जमीन पर गिरा दे .
खैर आज का मुद्दा वो नहीं है, आज का मुद्दा है, भाजपा का प्रदर्शन । जिसमें भाजपा के तमाम बड़े नेताओं ने शिरकत की. और जाहिर तौर पर कहा जा सकता है, कि इस आंदोलन के जरिये भाजपा ने अपने बुझे हुए कार्यकर्ताओं के दीये में तेल डालने का काम किया. जिससे उनकी लौ फिर से फड़फड़ाने लगे .उसमें कुछ हद तक वे कामयाब भी रहे.
अब बात करते हैं आंदोलन की वजह के बारे में . दरअसल भूपेश सरकार के गृह विभाग से एक आदेश जारी किया गया है . जिसमें कहा गया है कि अब किसी भी सार्वजनिक कार्यक्रम, जैसे कि धरना प्रदर्शन, रैली को आयोजित करने से पहले, कलेक्टर दफ्तर में एक फॉर्म भरकर जमा करना होगा. इसमें आयोजक की पूरी जानकारी ली जाएगी. आयोजन किस तारीख से किस तारीख तक चलेगा. कहां होगा. अगर रैली हुई तो उसका रूट क्या होगा. रैली में कौन लोग शामिल होंगे. कहां से आएंगे कौन सी गाड़ियों से आएंगे. पूरे आयोजन का मकसद क्या है.
इस तरह के 11 सवालों के जवाब के साथ फॉर्म भरकर जमा करना होगा. इसके बाद जिला प्रशासन पर निर्भर करता है, कि वह अनुमति देगा, या नहीं . और अगर बिना अनुमति के कार्यक्रम किया तो आयोजकों पर F I R दर्ज की जाएगी.
अब इस आदेश को भाजपा काला कानून बता रहे हैं.
इस पर पूर्व सीएम रमन सिंह कह रहे हैं. “सत्ता की हनक है तुम्हें, तो हमें भी तुम्हें झुकाना आता है. दबाओगे तुम आवाजें कितनी, हमें भी चिल्लाना आता है. अपनी नाकामियाबियां छुपाने, कितने ही काले कानून ले आओ. जिसने तुम्हें तख्त पर बिठाया है, उन्हें नीचे गिराना भी आता है.
अगले साल चुनाव हैं, तो जाहिर ऐसे आंदोलन और भी देखने को मिलेंगे. लेकिन अगर इन कानूनों की बात करें, तो इस पर सीएम भी दो टूक कह चुके हैं. कि रमनसिंह के शासन काल में भी हमें अनुमति लेनी पड़ती थी.