सागौन की इमारती लकड़ी से एमपी के किसान बनेंगे धनवान!, हर साल सरकार देगी एक लाख पौधे

भोपाल, मध्यप्रदेश में सागौन की कीमती इमारती लकड़ी किसानों के लिये आय का मजबूत स्त्रोत बनेगी। प्रदेश में पहली बार इंदौर वन वृत्त की टिश्यू कल्चर प्रयोगशाला में सागौन के धन वृक्षों से उच्च गुणवत्ता के टू-टू-टाईप (हूबहू) पौधे तैयार किये जा रहे हैं।
ये पौधे अपने पैरेन्ट वृक्ष के समान ही सर्वोत्कृष्ट प्रमाणित गुणवत्ता वाले होंगे। इससे किसानों को हरसाल सर्वोत्कृष्ट प्रमाणित गुणवत्ता वाले एक लाख पौधे मिल सकेंगे। सागौन की लकड़ी का मूल्य बाजार में 50 से 60 हजार रुपये प्रति घनमीटर है। प्रमाणित पौधों के विकसित होने पर मध्यप्रदेश सागौन में उच्च गुणवत्ता की लकड़ी के लिये पहचाना जायेगा।
पांच धन वृक्षों का चयन किया गया
प्रधान मुख्य वन संरक्षक पी. सी. दुबे ने बताया कि इंदौर की टिश्यू कल्चर प्रयोगशाला में सागौन, बाँस और संकटापन्न प्रजातियों के पौध तैयारी का कार्य राज्य अनुसंधान विस्तार जबलपुर और इन्स्टीट्यूट ऑफ फॉरेस्ट जेनेटिक्स एण्ड ट्री ब्रीडिंग कोयम्बटूर के तकनीकी सहयोग से सफलतापूर्वक किया जा रहा है। वर्ष 2019 से प्रारंभ इस कार्य के लिये देवास वन मंडल के पुंजापुरा परिक्षेत्र के चयनित 2320 उत्कृष्ट सागौन वृक्षों में से पाँच धन वृक्षों का चयन किया गया।
सागौन के पेड़ कम होते जा रहे हैं
इनमें रातातलयी के चार और जोशी बाबा वन समिति का एक सागौन वृक्ष शामिल है। इन वृक्षों की उँचाई लगभग 28 मीटर और चौड़ाई 72 से.मी. है। धन वृक्ष से आशय है बीमारी रहित सर्वोच्च गुणवत्ता वाले वृक्ष। दुबे ने कहा कि जंगलों से सागौन के पेड़ कम होते जा रहे हैं। टिश्यू कल्चर से हजारों प्रमाणित गुणवत्ता वाले पौधे तैयार किये जा सकेंगे और भविष्य में प्रदेश देश की सर्वोत्कृष्ट सागौन लकड़ी का भंडार प्रदेश होगा।
टिश्यू कल्चर पद्धति में विभिन्न चरणों में सागौन पौधा तैयार होता है। चयनित धन वृक्षों की शाखायें लेकर उपचार के बाद पॉलीटनल में रखकर अंकुरित करते हैं। अंकुरण के बाद तीन-चार से.मी. की शूट होने पर उसको एक्सप्लांट के लिये अलग कर लेते हैं।
टेस्ट ट्यूब में ट्रांसफर किया जाता है
इसके बाद एक्सप्लांट की सतह को एथनॉल आदि से अच्छी तरह साफ कर इसे कीटाणु रहित किया जाता है। तत्पश्चात् स्टरलाइज्ड एक्सप्लांट को सावधानीपूर्वक टेस्ट ट्यूब में ट्रांसफर किया जाता है। टेस्ट ट्यूब में पौधा 25 डिग्री सेल्ससियस + 2 डिग्री सेल्ससियस पर 16 से 8 घंटे की लाइट पर 45 दिनों तक रखा जाता है। लगातार दो हफ्ते की निगरानी और तकनीकी रखरखाव के बाद एक्सप्लांट से नई एपिकल शूट उभर आती हैं।
शूटिंग मीडिया में इनोक्यूलेट किया जाती है
अब इनकी 6 से 8 बार सब कल्चरिंग की जाती है। लगभग 30 से 40 दिनों के बाद 4 से 5 नोड वाली शूट्स प्राप्त होती हैं। जिन्हें फिर से काटकर नये शूटिंग मीडिया में इनोक्यूलेट किया जाती है। इसके बाद शूट को डबल शेड के नीचे पॉलीप्रोपागेटर में 30 से 35 डिग्री तापमान और 100 प्रतिशत आद्रता पर लगाया जाता है।
लैब में तैयार पौधे वर्तमान में 15 से.मी. ऊँचे हो चुके हैं। अभी किसानों को बीज से विकसित सागौन पौधे मिलते हैं। जिनकी गुणवत्ता प्रमाणित नहीं होती। निजी पौध-बीज विक्रेता किसानों को मनमाने दाम पर पौधे बेच देते हैं। जिनकी गुणवत्ता की कोई गारंटी नहीं होती।
आपको ये जानकारी या खबर अच्छी लगे, तो इसे सिर्फ अपने तक मत रखिये, सोचिए मत शेयर कीजिये
CG corona Updateऔर MP Corona Updateदेश में Covid19का ताजा अंकड़ा देखने के लिए यहां क्लिक करें
Nationalन्यूज Chhattisgarh और Madhyapradesh से जुड़ी Hindi News से अपडेट रहने के लिए Facebookपर Like करें, Twitterपर Follow करें और Youtube पर subscribeकरें।