
रायपुर
- छत्तीसगढ़ में केंद्र सरकार की योजना किसान सम्मान निधि कांग्रेस और भाजपा के बीच रस्साकशी में उलझ रही है। यह मामला अब चुनावी मुद्दा बनने जा रहा है। किसानों को लेकर दोनों दलों के अपने-अपने दावे हैं। सभी खुद को किसान हितैषी साबित करना चाहते हैं।
- तीन राज्यों में कांग्रेस ने वापसी की तो सबसे पहले किसानों का कर्ज माफ किया और बताया कि भाजपा तो सिर्फ उद्योगपतियों का कर्ज माफ करती है। छत्तीसगढ़ में साफ तौर पर यह साबित हुआ कि किसानों के समर्थन से ही कांग्रेस को बंपर बढ़त मिली।
- ऐसे में किसानों को अपने पाले में करने की होड़ मचना स्वाभाविक है। भाजपा कैसे पीछे रहती। तो उसने नहले पर दहला मारा और लोकसभा चुनाव से पहले किसानों को नगद छह हजार रुपये सालाना देने की योजना लांच कर दी। इतना ही नहीं, बुधवार को बिलासपुर पहुंचे केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने तो यह भी एलान किया कि अगर हमारी सरकार दोबारा आई तो सम्मान निधि दोगुना कर देंगे।
- जाहिर है कि भाजपा किसानों की सम्मान निधि को चुनावी मुद्दा बनाने जा रही है। कांग्रेस भी हालांकि सतर्क है। कांग्रेस किसानों के हित में किए गए कामों को ही अपनी उपलब्धि बता रही है। सत्ता में आने के बाद गांव और किसान से संबंधित योजना नरवा, गरूवा, घुरवा और बाड़ी को ही प्राथमिकता की योजना बनाया।
- यही नहीं जब छत्तीसगढ़ के किसानों को सम्मान निधि की पहली किस्त न मिलने की बात उठी तो बयान आया कि हम इससे अच्छी योजना लाने जा रहे हैं। यानी किसान लोकसभा चुनाव में दोनों दलों के लिए महत्वपूर्ण हैं और राजनीति उन्हीं के इर्दगिर्द घूमती रहेगी।
30 लाख किसान हैं सम्मान निधि के पात्र
- छत्तीसगढ़ में 30 लाख किसान सम्मान निधि के हकदार होंगे। यहां कुल करीब 36 लाख किसान हैं। पिछले साल धान बेचने के लिए करीब 14 लाख किसानों ने पंजीयन कराया था। बाकी जो किसान धान बेचने नहीं आते वास्तव में उन्हें सम्मान निधि की सबसे ज्यादा जरूरत है।
- सम्मान निधि की पहली किस्त जारी हुई तो यहां के एक लाख 19 हजार पांच सौ किसान ही रिकार्ड में थे। ऐसे में यहां के किसान पहली किस्त से वंचित हो गए। भाजपा ने तुरंत इस मुद्दे का उठाया। मामला विधानसभा में भी उठा। अब कहा जा रहा है कि किसानों की डाटा इंट्री कर रहे हैं। फिर रकम भी मिलने लगेगी।
डाटा इंट्री में लगेंगे दो महीने
- राज्य में सम्मान निधि के पात्र किसानों की डाटा इंट्री का काम लगातार चल रहा है। राजस्व सचिव एनके खाखा ने बताया कि हर दिन करीब 50 हजार किसानों की डाटा इंट्री की जा रही है। गांव में जाकर पटवारी, आरआइ किसानों से शपथ पत्र ले रहे हैं। फिर उनके नाम वेबसाइट में दर्ज किए जा रहे हैं।
- अब तक करीब सवा तीन लाख किसानों का नाम दर्ज किया गया है। रोज 50 हजार किसानों का नाम लिया जाएगा तो 30 लाख किसानों के नाम की इंट्री करने में दो महीने लग जाएंगे। इसी बीच लोकसभा चुनाव होने हैं। जाहिर है कि इस मुद्दे पर राजनीति अभी और बढ़ेगी