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छत्तीसगढ़ को जल्द मिलेगा नया चीफ सेक्रेटरी, रेस में ये नाम सबसे आगे!

रायपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव अमिताभ जैन 30 सितंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। उनके रिटायरमेंट से पहले ही रायपुर से लेकर दिल्ली तक नए मुख्य सचिव की नियुक्ति को लेकर माथापच्ची शुरू हो गई है। अक्तूबर की शुरुआत में प्रदेश को नया चीफ सेक्रेटरी मिलने की पूरी संभावना है। मुख्य सचिव पद की रेस में छत्तीसगढ़ कैडर के उन्नीस सौ नब्बे से उन्नीस सौ चौरानबे बैच के 5 वरिष्ठ आईएएस अधिकारी सबसे मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं। इनमें विकासशील गुप्ता और रेणु गोनेला पिल्ले का नाम सबसे आगे चल रहा है। इनके अलावा मनोज पिंगुआ, सुब्रत साहू और अमित अग्रवाल भी इस दौड़ में शामिल हैं।

विकासशील गुप्ता अनुभवी और वैश्विक नजरिए वाले अफसर

विकासशील गुप्ता वर्तमान में एशियन डेवलपमेंट बैंक में कार्यकारी अधिकारी के पद पर तैनात हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काम करने का अनुभव और प्रशासनिक दक्षता उन्हें इस पद के लिए एक मजबूत दावेदार बनाते हैं।
गुप्ता की पत्नी निधि छिब्बर, जो कि उन्नीस सौ चौरानबे बैच की ही आईएएस हैं, वर्तमान में नीति आयोग में नियुक्त हैं। इससे पहले वह डेवलपमेंट मॉनिटरिंग एंड इवैल्यूएशन ऑफिस की महानिदेशक रह चुकी हैं। नौकरशाही में इस पावर कपल को पावर पेयर के नाम से जाना जाता है।

रेणु गोनेला पिल्ले सख्त प्रशासक और भरोसेमंद चेहरा

रेणु गोनेला पिल्ले को प्रशासन में सख्त फैसले लेने वाली अधिकारी के रूप में जाना जाता है। जनवरी दो हजार पच्चीस में जब अमिताभ जैन छुट्टी पर थे, तब उन्हें कार्यवाहक मुख्य सचिव की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। यह सरकार के भरोसे का बड़ा संकेत माना गया था।
उनकी प्रशासनिक शैली और संकट में फैसले लेने की क्षमता उन्हें मुख्य सचिव की कुर्सी का प्रबल दावेदार बनाती है।

अन्य सीनियर अधिकारी भी रेस में

इसके अलावा मनोज पिंगुआ, सुब्रत साहू, और अमित अग्रवाल जैसे अनुभवी अफसरों के नाम भी इस रेस में चर्चा में हैं। इन सभी ने राज्य और केंद्र दोनों स्तरों पर महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाई हैं।

मुख्य सचिव की नियुक्ति का मापदंड

मुख्य सचिव बनने के लिए आमतौर पर तीस से तैंतीस साल की प्रशासनिक सेवा की जरूरत होती है। यह पद राज्य का सर्वोच्च नौकरशाही पद होता है, जिसकी नियुक्ति मुख्यमंत्री की सिफारिश पर होती है। हालांकि इस पद के लिए कोई निर्धारित कार्यकाल नहीं होता, जरूरत पड़ने पर कार्यकाल बढ़ाया भी जा सकता है। अब सबकी नजरें मुख्यमंत्री की पसंद पर टिकी हैं। देखना दिलचस्प होगा कि मुख्यमंत्री अनुभव, सीनियरिटी या भरोसे में से किस पहलू को तरजीह देते हैं।

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