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छत्तीसगढ़ की महिलाएँ बनीं बदलाव की धुरी, ‘महतारी’ के सम्मान से सशक्तिकरण की नई मिसाल

रायपुर। छत्तीसगढ़ आज अपनी विकास-यात्रा के स्वर्णिम पड़ाव पर है। इस यात्रा की सबसे मजबूत नींव बनी हैं राज्य की महिलाएँ — जिन्हें स्नेह और सम्मान से “महतारी” कहा जाता है।
बीते वर्षों में सरकार ने महिला सशक्तिकरण को केवल नीतिगत प्राथमिकता नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन की केंद्र-शक्ति बना दिया है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में महिलाएँ योजनाओं की लाभार्थी मात्र नहीं, बल्कि परिवर्तन की वाहक बनकर उभरी हैं।

राज्य में महिलाओं की आर्थिक मज़बूती के लिए कई योजनाएँ शुरू की गईं।
महतारी वंदन योजना के तहत अब तक करीब 70 लाख महिलाओं को 12,983 करोड़ रुपए की राशि वितरित की जा चुकी है। यह सहायता उन्हें आर्थिक सुरक्षा देने के साथ परिवार और समाज में निर्णायक भूमिका निभाने की शक्ति भी देती है।

दीदी ई-रिक्शा योजना ने 12,000 महिलाओं को रोजगार के अवसर दिए, जबकि सक्षम योजना के तहत 32,000 महिलाओं को कम ब्याज पर व्यवसायिक ऋण मिला।
महतारी शक्ति ऋण योजना से 50,000 महिलाओं को बिना जमानत ऋण मिला और मुख्यमंत्री सिलाई मशीन सहायता योजना के ज़रिए 1.15 लाख महिलाएँ आत्मनिर्भरता की राह पर अग्रसर हैं।

ग्रामीण इलाकों में भी यह परिवर्तन स्पष्ट है —
कोंडागांव की रतों बाई को प्रधानमंत्री आवास योजना और मनरेगा से मिला सहारा आज उन्हें सुरक्षित जीवन और आत्मनिर्भरता प्रदान कर रहा है।
दंतेवाड़ा की गंगादेवी SHG की महिलाएँ आज टाटा मैजिक वाहन चलाकर 26,000 रुपए मासिक कमा रही हैं।
सरगुजा की श्यामा सिंह ने बिहान योजना से शुरूआत कर आज 50,000 रुपए प्रतिमाह की कमाई तक पहुँच बनाई है।

कभी नक्सली भय से घिरा बस्तर अब आत्मनिर्भरता और सम्मान की नई पहचान बन गया है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय का कहना है कि,

“बस्तर का पुनर्निर्माण केवल सड़क या पुल बनाना नहीं, बल्कि हर घर में विश्वास का दीप जलाने का संकल्प है।”

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत राज्य को 15,000 विशेष आवास स्वीकृत हुए हैं, जिनमें से 3,000 बस्तर अंचल में बन रहे हैं।
राज्य में 2,80,362 महिला स्व-सहायता समूह सक्रिय हैं, जिनमें से 60,000 समूह केवल बस्तर में हैं।
‘लखपति महिला मिशन’ के तहत 2,000 महिलाएँ सालाना 1 लाख रुपए से अधिक कमा रही हैं।
‘जशप्योर’ और बस्तर के बेंत उत्पाद राष्ट्रीय पहचान पा चुके हैं।

महिलाओं की सुरक्षा और सुविधा के लिए सखी वन-स्टॉप सेंटर, महिला हेल्पलाइन 181, डायल 112, और नवाबिहान योजना जैसी सेवाएँ चौबीसों घंटे सक्रिय हैं।
शुचिता योजना से 3 लाख किशोरियाँ लाभान्वित हुई हैं और 2,000 स्कूलों में नैपकिन वेंडिंग मशीनें लगाई गई हैं।

तकनीकी सशक्तिकरण के लिए ड्रोन दीदी योजना और जशप्योर ब्रांड जैसी पहलें महिलाओं को स्थानीय से राष्ट्रीय बाजार तक पहुँचाने का मार्ग प्रशस्त कर रही हैं।

महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े का कहना है —

“नया छत्तीसगढ़ वह होगा जहाँ भय नहीं, विश्वास होगा — जहाँ महिलाएँ आश्रित नहीं, सशक्त होंगी।”

आज छत्तीसगढ़ का हर गाँव, हर घर और हर परिवार परिवर्तन की ज्योति से आलोकित है —
जहाँ पहले भय था, वहाँ अब आत्मनिर्भरता है;
जहाँ मजबूरी थी, वहाँ अब सम्मान है;
छत्तीसगढ़ की महतारियाँ अब परिवर्तन की प्रतीक्षा नहीं कर रहीं — वे स्वयं परिवर्तन रच रही हैं।

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