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भ्रामक विज्ञापन पर अब सलिब्रिटी भी होंगे जवाबदेह !

देर से ही सही, सरकार अब सेलिब्रेटी को भी किसी उत्पाद का विज्ञापन करने पर उत्पादक संस्थान का हिस्सा माना जायेगा। यदि पाया गया कि विज्ञापन उपभोक्ता के लिये हानिकारक है तो सेलिब्रेटी भी नपेगी। दरअसल, सरकार की कोशिश है कि शीतकालीन सत्र में उपभोक्ता संरक्षण बिल 2017 को कानून का दर्जा दिलाया जाये। कैबिनेट की बैठक में इसे मंजूरी मिल चुकी है। अप्रैल में खाद्य उपभोक्ता मामले और सार्वजनिक वितरण मामले की संसदीय समिति ने विज्ञापन को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया था। कानून मंत्रालय के वैधानिक विभाग ने विज्ञापन और विज्ञापन कर्ता को उत्पादन संस्थान का हिस्सा माना है। नये कानून के सेक्शन-75 के अनुसार किसी उत्पाद के उपभोक्ता के हित में प्रतिकूल होने ?अथवा झूठे व भ्रामक विज्ञापन करने पर नामी व्यक्ति को दो साल की सजा और दस लाख का जुर्माना हो सकता है। दूसरी बार ऐसा ही विज्ञापन करने पर पांच साल की सजा व पचास लाख के जुर्माने का प्रावधान होगा। ऐसी मान्यता रही है कि किसी उत्पाद का नामी व्यक्ति द्वारा विज्ञापन करने से उपभोक्ता में यह धारणा बनती है कि फलां उत्पाद उच्च गुणवत्ता के चलते उपयोग करने लायक है। जबकि नामी व्यक्ति को केवल अपने विज्ञापन की फीस से मतलब होता है।

दरअसल, इस मुद्दे पर कई बार शीर्ष अदालतें भी सख्त टिप्पणी कर चुकी हैं, मगर किसी कारगर कानून के अभाव में सेलिब्रेटी कानून के चंगुल से अकसर बच जाते हैं। किसी सेलिब्रेटी द्वारा किसी उत्पाद का प्रचार-प्रसार किये जाने पर लोग आंख मूंदकर उस पर विश्वास करने लगते हैं। अब कंज्यूमर प्रोटेक्शन बिल-2017 को कैबिनेट की मंजूरी के बाद उम्मीद जगी है कि संसद में सभी राजनीतिक दलों का इसे समर्थन मिल सकेगा। दरअसल इस बिल में सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी बनाने का भी प्रस्ताव है। यह अथॉरिटी भ्रामक विज्ञापनों के संबंध में सभी शिकायतों को सुनने के बाद कार्रवाई की सिफारिश करेगी। इससे जहां उपभोक्ता के हितों की रक्षा हो सकेगी, वहीं ब्रांड को लेकर सेलिब्रिटी की जवाबदेही भी तय की जा सकेगी। साथ?ही गुमराह करने वाले विज्ञापनों पर भी कानूनी शिकंजा कसा जा सकेगा। नया बिल डायरेक्ट सेलिंग कंपनियों पर?भी लागू होगा। बहरहाल, अब सेलिब्रेटी को जांच-पड़ताल के बाद ही कोई विज्ञापन करना होगा कि जो उत्पाद के बारे में दावे किये जा रहे हैं, क्या वे वाकई सही हैं। अंतत: इससे उपभोक्ता के हितों की रक्षा सुनिश्चित की जा सकेगी।

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