छत्तीसगढ़रायपुर

रमन सिंह का चेहरा चमकाने वाली 48 फर्मो को भूपेश सरकार ने दिखाया बाहर का रास्ता

  • राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ संवाद में 21 निविदा प्रक्रियाओं द्वारा सूचीबद्ध की गई 48 फर्मों और एजेंसियों का इम्पैनलमेंट तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया है। इन फर्मों और एजेंसियों को दिए गए कुल 85 करोड़ रूपए के कार्यों में से करीब 61 करोड़ रूपए का भुगतान किया जा चुका है। शासकीय कार्यों में व्यापक पारदर्शिता और मितव्ययिता बरतने तथा भविष्य में कार्य की आवश्यकता नहीं होने के कारण इन निविदाओं को निरस्त किया गया।
  • सरकारी सूत्रों ने बताया कि इनमें से कुछ के कार्यों की वर्तमान में आवश्यकता नहीं हैं और कुछ फर्मों के कार्यों में प्रारंभिक तौर पर कुछ अनियमितताएं पाई गई हैं। इनमें से एक फर्म की निविदा एक अक्टूबर 2018 को स्वीकृत हुई और उसके द्वारा 6 अक्टूबर को कार्यों का करोड़ों रूपए का बिल भी प्रस्तुत कर दिया गया था। इसे देखते हुए इन संस्थाओं की जांच की कार्यवाही की जा रही है। इसके लिए राज्य शासन द्वारा जांच समिति भी बनाई गई है। इन फर्मों को पूर्व में 61 करोड़ रुपए का भुगतान किया जा चुका हैबीजेपी के लिए काम कर रहे मीडिया एडवाइजरों की भी छुट्टी

    दूसरी ओर राज्य शासन ने मुख्यमंत्री के मीडिया एडवाइजर के रुप में बीते 10 वर्षों से अधिक समय से सरकारी सुविधा भोग रहे दो पत्रकारों की छुट्टी कर दी है। ये दोनों दिल्ली में सरकारी खर्च पर पालिटिकल सेटअप का संचालन कर रहे थे। इनमे राजकुमार शर्मा और पंकज झा(जयरामदास) शामिल हैं। इन्हें 40-40 हजार रुपए वेतन के साथ ,दिल्ली में मकान, फोन और वाहन सुविधा दी जाती रही है। इसका भुगतान जनसंपर्क विभाग की एजेंसी संवाद से होता रहा है। हाल में विभाग में गठित जांच समिति का मानना है कि इन दोनों ने किस तरह के काम किए इसका कोई रिकार्ड उपलब्ध नहीं हैं जबकि उस काम के एवज में इनके द्वारा लाखों का फंड समय-समय पर लिया जाता रहा है। पंकज झा बीजेपी के मुख पत्र दीपकमल के संपादक रहे हैं और उन्हें सरकारी खर्च पर ये सुविधाए मिलती रही है। इतना ही नहीं इस पत्रिका को सरकारी विज्ञापन भी हाई रेट पर दिए जाते रहे हैं। जांच समिति ने पाया कि इनके द्वारा पालिटिकल काम किए जाते रहे हैं। यह भी खबर है कि विभाग की ओर दिल्ली में पदस्थ किए गए एडीशनल डायरेक्टर उमेश मिश्र की भी जल्द रायपुर वापसी होगी। मिश्र भी पिछली सरकार के करीबी अफसरों में शामिल रहें हैं। करीब 8-9 वर्ष पूर्व ही एमपी से आए उमेश ने इसी का फायदा उठाकर विभाग के कई वरिष्ठ अफसरों को सुपरशीड कर सहायक संचालक से एडीशनल डायरेक्टर बनाए गए।

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