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मत्स्य पालन बना ग्रामीण समृद्धि का आधार, जशपुर में नीली क्रांति से बढ़ा रोजगार और आत्मनिर्भरता

रायपुर। मत्स्य उत्पादन आज न केवल पोषण सुरक्षा का प्रमुख साधन है, बल्कि यह ग्रामीण क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन का सशक्त माध्यम बन गया है। प्रदेश में मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए शासन लगातार नवाचार अपना रहा है। किसानों को आधुनिक तकनीक की जानकारी दी जा रही है और उन्हें अनुदान राशि भी उपलब्ध कराई जा रही है। इन प्रयासों से मत्स्य उत्पादक किसान आत्मनिर्भरता की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।

जशपुर जिला मत्स्य उत्पादन में उल्लेखनीय प्रगति कर रहा है। बीते 22 महीनों में योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन से जिले में मत्स्य बीज स्पॉन उत्पादन 18.50 करोड़, स्टे.फ्राय उत्पादन 2.55 करोड़ और बीज संचयन 2.94 करोड़ तक पहुंच गया है। कुल 22,805 मीट्रिक टन मत्स्य उत्पादन दर्ज किया गया।

6,904 हितग्राहियों को मत्स्यजीवि दुर्घटना बीमा योजना से लाभ मिला है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में शासन की नीतियों के तहत ग्रामीण तालाबों और जलाशयों का पट्टा आबंटन किया गया। कुल 77.677 हेक्टेयर तालाब और 295.270 हेक्टेयर जलाशय मत्स्य पालन के लिए उपलब्ध कराए गए। साथ ही आठ मछुआ सहकारी समितियों को नवीन योजना के अंतर्गत अनुदान स्वीकृत हुआ।

झींगा पालन के क्षेत्र में भी 55 इकाइयों की स्थापना से मत्स्य व्यवसाय में विविधता आई है। अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के 63 हितग्राहियों ने मौसमी तालाबों में मत्स्य बीज संवर्धन का लाभ उठाया। वहीं, 817 लाभार्थियों ने 50 प्रतिशत अनुदान पर फिंगरलिंग क्रय कर संचयन कार्य किया। 430 हितग्राहियों को नाव-जाल वितरण और 227 लाभार्थियों को फुटकर मछली विक्रय योजना के तहत सहायता दी गई।

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई दिशा दी है। इस योजना का उद्देश्य मत्स्य उत्पादन बढ़ाना, निर्यात को दोगुना करना और रोजगार के अवसर सृजित करना है। इसके तहत मछुआरों और मत्स्य पालकों को आधुनिक उपकरण, बुनियादी सुविधाएं और वित्तीय सहायता दी जा रही है। साथ ही बीमा सुरक्षा और ऋण पर सब्सिडी की सुविधा भी उपलब्ध है।

इस योजना के तहत अनुसूचित जाति, जनजाति और महिलाओं को 60 प्रतिशत तक तथा अन्य वर्गों को 40 प्रतिशत तक की अनुदान राशि दी जाती है। जिले में अब तक 41 हेक्टेयर भूमि पर तालाब निर्माण, 7.6 हेक्टेयर में संवर्धन पोखर निर्माण और 11 बायोफ्लॉक पॉण्ड लाइनर इकाइयों की स्वीकृति दी गई है। इसके अलावा 162 हितग्राहियों को सेविंग कम रिलीफ योजना से भी सहायता मिली है।

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