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योजनाओं से उम्मीदों तक: पतुरियाडाँड़ के बच्चों को मिली अंग्रेजी शिक्षा की नई रोशनी

रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार की युक्तियुक्तकरण नीति अब सिर्फ प्रशासनिक सुधार नहीं, बल्कि दूरस्थ क्षेत्रों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए भविष्य बदलने वाली पहल बनकर सामने आ रही है।

कोरबा जिले के पोड़ी-उपरोड़ा ब्लॉक के आखिरी छोर पर बसे छोटे से गाँव पतुुरियाडाँड़ के लिए हाई स्कूल खुलना किसी सपने के पूरे होने जैसा था। सालों तक यहाँ के बच्चों को आगे की पढ़ाई सिर्फ इसलिए छोड़नी पड़ती थी क्योंकि पहले हाई स्कूल गाँव से मीलों दूर था।

लेकिन जब गांव में हाई स्कूल शुरू हुआ, तो यह सिर्फ एक भवन नहीं था—यह उन बच्चों की नई उम्मीद थी जो कभी किताबों और सपनों के बीच दूरी में बंधे थे।

चुनौती और बदलाव:

स्कूल खुला जरूर, लेकिन अंग्रेजी विषय का शिक्षक न होने के कारण बच्चों, खासकर लड़कियों के लिए यह सपना अधूरा था। अंग्रेजी और गणित को कठिन मानने वाले ये विद्यार्थी धीरे-धीरे हिम्मत हारने लगे थे।

तभी सरकार की युक्तियुक्तकरण नीति ने इस स्कूल के भविष्य को दिशा दी। इसी योजना के तहत यहां अंग्रेजी व्याख्याता विजय कुमार राठौर की नियुक्ति हुई।

सिर्फ चार-पांच महीनों में बदलाव साफ दिखने लगा—
छात्रों का अंग्रेजी से डर आत्मविश्वास में बदल गया।

छात्रों की आवाज़:

9वीं और 10वीं के छात्र-छात्राओं ने मुस्कुराते हुए कहा—

“सर के आने के बाद अंग्रेजी पढ़ना आसान लगता है। अगर शिक्षक नहीं होते तो हम शायद फेल हो जाते। अब हमें अपने भविष्य पर भरोसा है।”

गांव में खुशियों की लहर:

गांव के लोग गर्व से कहते हैं—

“जिस शिक्षक की कमी वर्षों से महसूस हो रही थी, वह अब पूरी हो गई है।”

आज पतुरियाडाँड़ के बच्चे अंग्रेजी बोल रहे हैं, परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं और उनके चेहरे पर छुपा नहीं सकने वाला आत्मविश्वास है।

छत्तीसगढ़ सरकार की यह नीति सिर्फ एक स्कूल नहीं, बल्कि सैकड़ों सपनों के रास्ते को रोशन कर रही है। पतुरियाडाँड़ का यह बदलाव बताता है कि—
सही नीति और सही शिक्षक मिल जाएं, तो गांव का हर बच्चा अपना भविष्य खुद लिख सकता है।

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