गरियाबंद : बरसात से सैकड़ो क्विंटल धान भीगा !

गरियाबंद : गरियाबंद में खुले आसमान के नीचे महज झिल्लियों के सहारे 5 लाख क्विंटल से अधिक धान पड़़ा हुआ है इस चक्रवाती तूफान में हुई बारिश के चलते हजारों बोरा धान भिगने की खबर है वहीं आधे छत्तीसगढ़ में बीते 2 दिनों से मौसम की नमी के चलते धान खरीदी पूरी तरह बंद कर दी गई है गरियाबंद जिले में धान खरीदी समितियों द्वारा खरीदे गए कुल धान का 49त्न ही उठाओ हो पाया था बाकी धान जो अभी भी खरीदी केंद्रों में खुले आसमान के नीचे पड़ा है उस पर मौसम की मार पड़ी है वही अधिकारियों का कहना है कि मौसम विभाग ने 1 हफ्ते पहले ही चेतावनी दे दी थी जिले के सभी 60 धान खरीदी केंद्रों में सभी को पहले से ही धान को ढकवा ने तथा नमी से बचाने के निर्देश दिए थे किंतु बहुत सी जगहों में ऐसा किया नहीं गया इस बारिश से समितियों को इस साल भी लाखों रुपए का नुकसान होने की पूरी आशंका दिख रही है क्योंकि बारिश से धान में नमी बढ़ जाएगी और नमी युक्त धान संग्रहण केंद्र में लिया नहीं जायेगा बारिश से भीगे हुए धान में जड़े निकलने लगती है और बीते 2 दिन से हो रही बारिश में काफी धन भीग चुका है.
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किसानों की मेहनत पर मौसम ने पानी फेर दिया है गरियाबंद जिले की 70त्न सीमा उड़ीसा राज्य से लगती है यही कारण है कि वहां आए चक्रवाती तूफान का पूरा असर गरियाबंद में भी देखा जा रहा है 2 दिन से यहां बारिश हो रही है और इस बारिश में सबसे अधिक नुकसान धान खरीदी केंद्रों में हो रहा है 8 दिन पहले ही मौसम विभाग से इसकी सूचना दिए जाने के बावजूद धान खरीदी केंद्रों के प्रभारियों ने धान को ढकवाने और नमी से बचाने में कोई रुचि नहीं दिखाई जिसके कारण कई जगहों पर खुले आसमान के नीचे धान पड़ा रहा और भिगता रहा खरीदी केंद्र के प्रभारियों की लापरवाही का खामियाजा अब समितियों को लाखों रुपए का नुकसान उठाकर भुगतना पड़ेगा दरअसल गरियाबंद जिले में 38 समितियों के 60 धान खरीदी केंद्रों में से ज्यादातर में आधे से अधिक धान पडा हुआ है सबसे खराब स्थिति मैनपुर विकासखंड के धान खरीदी केंद्रों में हैं यहां जिड़ार समेत कुछ धान खरीदी केंद्रों में एक दाना धान भी उठाया गया ही नहीं है अर्थात पूरा धान खुले आसमान के नीचे भगवान भरोसे पड़ा है
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मौसम के कारण अब तक हुई परेशानी से कहीं अधिक परेशानी अब आगे भुगतनी पड़ेगी दरअसल धान खरीदी केंद्रों में किसानों से मशीन में जांच कर 17त्न तक नमी वाला धान खरीदा जाता है किंतु अब बीते 3 दिन में हुई बारिश और मौसम में आई नमी के चलते धान में नमी की मात्रा का अधिक बढ़ गई है 17त्न की बजाय 30त्न तक पहुंच रही है जिसका जिसके चलते इंस धान को जब संग्रहण केंद्र कुंडेल भाटा भेजा जाएगा तो वहां इसे प्रवेश नहीं दिया जाएगा जिससे समितियों की परेशानी बढ़ती नजर आ रही है इस धान को शासन को देने से पहले पूरा खोलकर धूप में सुखाना पड़ेगा जिससे समितियों को हमाली का खर्च दुगना पड़ जाएगा इसके अलावा धान के जो बोरे भिग गए हैं उनमें 3 से 4 दिनों में जड़ निकल आएंगे और फिर वह ध्यान भी शासन नहीं लेगी पहले भी इस तरह की घटनाओं में समितियों को लाखों का नुकसान हो चुका है और इस बार भी कुछ ऐसी ही स्थितियां नजर आ रही है
इस संबंध में धान खरीदी के जिले के नोडल अधिकारी पुरबिया से चर्चा करने पर वे कहते हैं कि 8 दिन पहले मौसम विभाग की चेतावनी मिलते ही सभी धान खरीदी केंद्र के प्रभारियों को निर्देश दिया गया था कि पर्याप्त झिल्ली तालपत्री और तारपोलइन की मदद से धान को ढक लिया जाए किंतु जब हमने खुले में भीग रहे धान के वीडियो अधिकारी को दिखाएं तो उन्होंने इस बात को स्वीकार किया कि कई जगहों पर ऐसा नहीं हुआ है उनका कहना था कि धान खरीदी अधिकारियों की इस लापरवाही का खामियाजा अब समितियों को भुगतना पड़ेगा उन्होंने सभी धान खरीदी केंद्रों को पुन: पत्र जारी कर धान को तत्काल सुरक्षित करने के निर्देश देने की बात कही है