दुनियाभर में ऐतिहासिक स्मारकों पर हमला जारी, US में जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद बदले हालात

नईदिल्ली, सदियों से चली आ रही, नस्लीय अन्याय के खिलाफ बोस्टन, न्यूयॉर्क, पेरिस, ब्रसेल्स और ऑक्सफोर्ड, इंग्लैंड जैसे शहरों में प्रतिमाएं तोड़ने की घटनाएं होने लगी हैं । अमेरिका में अश्वेत शख्स जॉर्ज फ्लॉयड की पुलिस हिरासत में मौत के बाद कान्फेडरेट स्मारकों को हटाने के अभियान ने जोर पकड़ लिया है. अब यह क्रिस्टोफर कोलंबस, सेसिल रोड्स और बेल्जियम के राजा लियोपोल्ड द्वितीय की प्रतिमाएं हटाने समेत दुनियाभर में फैल गया है।
इस बीच ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में प्रदर्शनकारियों ने विक्टोरियाई साम्राज्यवादी रोड्स की प्रतिमा हटा दी जो दक्षिण अफ्रीका में केप कॉलोनी के प्रधानमंत्री रहे थे। उन्होंने सोने और हीरे की खदानों का जमकर दोहन किया जहां खनिकों से क्रूर परिस्थितियों में मजदूरी कराई गई।
वहीं, इंग्लैंड के ब्रिस्टल में प्रदर्शनकारियों ने 17वीं सदी के व्यापारी एडवर्ड कोल्सटन की प्रतिमा उखाड़ दी। शहर के अधिकारियों ने बताया कि इसे एक संग्रहालय में लगाया जाएगा। बेल्जियम में छह से अधिक शहरों में लियोपोल्ड द्वितीय की प्रतिमाओं को विरूपित किया गया।
कांगो पर राजा के क्रूर शासन को याद करते हुए ऐसा किया गया जहां एक सदी से अधिक समय पहले उन्होंने करोड़ों लोगों को अपने लाभ के लिए रबड़, हाथी दांत और अन्य संसाधनों के खनन के लिए दासता के लिए मजबूर किया। विशेषज्ञों का कहना है कि उनके अत्याचार के चलते एक करोड़ लोग मारे गए थे।
मिनियापोलिस में एक श्वेत पुलिस अधिकारी ने अपने घुटने से फ्लॉयड की गर्दन दबाई थी जिससे उसकी मौत हो गई थी।
फ्लॉयड की मौत के बाद देशभर में कान्फेडरेट स्मारकों को तोड़ा गया है। कुछ लोगों का कहना है कि ये प्रतिमाएं अनुचित रूप से उन लोगों का महिमामंडन करती हैं जिन्होंने दास प्रथा को बनाए रखने के लिए विद्रोह का नेतृत्व किया।
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