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अयोध्या में इतिहास रचा: राम मंदिर के शिखर पर फहराई गई सुनहरी धर्मध्वजा, दूर से बिखेर रही आस्था का तेज

अयोध्या में 25 नवंबर का दिन करोड़ों राम भक्तों के लिए अविस्मरणीय बन गया। पहली बार राम मंदिर के भव्य शिखर पर पीएम मोदी ने गरिमा और आस्था के प्रतीक भगवा ध्वज को फहराया। यह सिर्फ एक ध्वजा नहीं, बल्कि मंदिर निर्माण के पूर्ण होने का पवित्र संकेत है।

देश-दुनिया से राम भक्त एक दिन पहले ही अयोध्या उमड़ पड़े थे, ताकि इस ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बन सकें। लेकिन इस ध्वजा की खासियत क्या है? किसने इसे बनाया? आइए जानें—

तूफानों में भी अडिग रहने वाली धर्मध्वजा

गुजरात के छह कुशल कलाकारों ने 25 दिनों की मेहनत से इस ध्वज को तैयार किया है। इसके दंड पर 21 किलो शुद्ध सोने की परत चढ़ाई गई है। इतना विशाल कि 4 किलोमीटर दूर से भी साफ दिखाई देता है।
एविएशन-ग्रेड पैराशूट नायलॉन और रेशम से निर्मित यह ध्वजा तेज धूप, भारी बारिश और भीषण तूफान—हर मौसम में सुरक्षित रहती है। हवा का रुख बदलने पर भी यह उलझे बिना सहजता से घूम जाती है।

रंग और चिन्हों में छिपा है राम राज्य का संदेश

ध्वजा का हर रंग, हर प्रतीक राम राज्य के मूल्यों—गरिमा, एकता और सांस्कृतिक निरंतरता—का संदेश देता है।
इस पर बना दीप्तिमान सूर्य भगवान राम के तेज और वीरता का प्रतीक है।
ऊपर अंकित ‘ॐ’ दिव्यता का संकेत है, जबकि कोविदार वृक्ष की आकृति पवित्रता और जीवन शक्ति का रूपक मानी जाती है।

विशाल आकार और भव्यता का प्रतीक

ध्वजा की कुल ऊंचाई 191 फुट तक पहुंचती है, जिसमें मंदिर के शिखर की 161 फुट ऊंचाई भी शामिल है।
22 फुट लंबा और 11 फुट चौड़ा यह ध्वज लगभग 2–3 किलोग्राम वजनी है, पर इसका धार्मिक भार करोड़ों आस्थाओं से कहीं अधिक है।

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