बॉलीवुड

बिजली बिल की लाइन में घंटों खड़ा हुआ हूं: शाहिद कपूर

शाहिद कपूर ताजातरीन फिल्म बत्ती गुल मीटर चालू को लेकर चर्चा में हैं। वह बेहद उत्साहित हैं, क्योंकि फिल्म की रिलीज के साथ ही वह दूसरी बार पिता बनने जा रहे हैं। इस खास मुलाकात में उत्तराखंड, पत्नी मीरा, बेटी मीशा के बारे में दिल खोलकर बातें करते हैं:

बत्ती गुल मीटर चालू के लिए उत्तराखंड को चुनने की कोई खास वजह?

शुरुआत में जब इस फिल्म का प्लान बना, तो इसकी पृष्ठभूमि मुंबई थी। फिल्म के निर्देशक श्रीनारायण सिंह ने टॉयलेट: एक प्रेम कथा भी बनाई है। वह खुद एक छोटे शहर से हैं। उन्होंने कहा कि यह समस्या मुंबई में है, मगर इसका विकराल रूप तो छोटे कस्बों और शहरों में देखने को मिलेगा। इसी वजह से हमने टिहरी गढ़वाल को चुना। वहां के हवा-पानी में कोई मिलावट नहीं थी।

ये खबर भी पढ़ें – भावेश जोशी सुपरहीरो के लिए पहली पसंद थे शाहिद कपूर

आप जब किसी बाहरी इलाके में शूट करने जाते हैं, तो आपके साथ बहुत जबरदस्त सिक्यॉरिटी होती है, मगर हमारे सेट पर कमाल यह हुआ कि तीसरे दिन सिक्यॉरिटी खाली बैठी हुई थी, क्योंकि उसके पास कोई काम ही नहीं था। असल में लोगों में अनुशासन ऐसा था कि उन्हें रोकने की जरूरत ही नहीं पड़ी। मैं कभी टिहरी गया ही नहीं था, मगर वहां जाते ही उस जगह के प्यार में पड़ गया।

फिल्म में आपने बल और ठहरा जैसे शब्द बोले हैं? लोगों को अजीब लग रहा है?

हमने फिल्म में कुमाऊनी एक्सेंट का इस्तेमाल किया है। कुमाऊनी कम इस्तेमाल होता है। इसीलिए, फिल्म के लेखक चाहते थे कि जो एक्सेंट और बोली लुप्त हो रही है, उसे लोगों के सामने लाया जाए। कुमाऊनी में ठहरा और बल दोनों यूज किए जाते हैं, जबकि गढ़वाली में ठहरा का इस्तेमाल होता है। मुझे लगता है, लोग उस तरह की फिल्म देखना चाहते हैं, जो हिंदुस्तानी हो। जो हमारे लोगों के बारे में हो, हमारे मुद्दों की बात करें।

 shahid kapoor1

अभिनय में आए मुझे 15 साल हो गए हैं, तो लोगों को लगता है कि मैं स्टार हूं और मुझे कभी बिजली की समस्या से नहीं गुजरना पड़ा होगा। मगर फिल्मों में आने से पहले मैंने बहुत ही आम जिंदगी जी है। मेरी पैदाइश दिल्ली की है और मैं 10 साल दिल्ली में रहा हूं। हमारे एरिया में काफी लाइट जाया करती थी और जब भी लाइट जाती, हम लोग खूब ऊधम मचाया करते थे। किसी के घर का दरवाजा बाहर से बंद कर देते थे। अंधेरे में छुप्पन-छुपाई खेलने में बहुत मजा आता था। बिजली जाने से जुड़ी कई प्यारी यादें हैं, मगर कुछ कड़वे अनुभव भी हैं। मैं बहुत छोटा था और मेरी मॉम एक सिंगल पैरंट थीं, तो बिल ज्यादा आ जाता था, तो प्रेशर फील होता था।

ये खबर भी पढ़ें – सिंगल मदर का पहला बच्चा था, इसलिए जिम्मेदार था: शाहिद कपूर

मैं तो बिल भरने की लाइन में घंटों इसलिए भी खड़ा रहा हूं कि मुझे यह पता करना होता था कि इतना बिल आ कैसे गया? अगर अधिकारियों से बात करनी होती थी, तो और मुसीबत। 19-20 साल की उम्र में मैं ऐसे अनुभवों से गुजरा हूं, जहां मैंने जाना है कि एक आम आदमी के लिए जिंदगी आसान नहीं होती।

इंडस्ट्री में 15 साल बिताने के बाद अब आप सामाजिक मुद्दे वाली फिल्में कर रहे हैं?

मैं इससे पहले भी हैदर और उड़ता पंजाब जैसी सोशल इशूज वाली फिल्में कर चुका हूं। मगर इन दोनों फिल्मों का सुर डार्क था। उड़ता पंजाब में ड्रग्ज अब्यूज को गंभीर तौर पर दर्शाया गया था। उसकी कहानी और संवाद ऐसे थे कि आप इस तरह की फिल्म परिवार या बच्चों के साथ बैठकर न देख सकें। श्रीनारायण मुद्दों पर फिल्म जरूर चुनते हैं, मगर उन्हें सीमाओं में नहीं बांधते। उसे पारिवारिक बनाना चाहते हैं, जिससे लोग उनसे जुड़ सकें। उनकी फिल्मों में प्यार, रोमांस और ह्यूमर सभी कुछ होता है।

आप दूसरी बार पिता बनने जा रहे हैं, कैसा महसूस कर रहे हैं?

बहुत ज्यादा एक्साइटेड हूं। पिता भी बननेवाला हूं और मेरी फिल्म भी आने वाली है। ईश्वर से यही कामना है कि दोनों जिम्मेदारियों को अच्छी तरह से निभा सकूं।

आपकी सक्सेजफुल मैरिज का मूल मंत्र?

हम सभी अपने रिश्तों में जूझते हैं और उनके साथ निबाह करते हुए आगे बढ़ते हैं। शादी में भी आपको रोज मेहनत करनी पड़ती है, खुद को बदलना पड़ता है। दूसरे इंसान के नजरिए को समझना पड़ता है। इसकी कोशिश आपको सकारात्मक रूप से लगातार करनी पड़ती है। यह एक लॉन्ग टर्म पार्टनरशिप है। अगर आपको साथ में एक लंबा सफर तय करना है, तो बहुत अजस्ट करना होगा।
आपने कहा कि उड़ता पंजाब आप परिवार और बच्चों के साथ नहीं देख सकते, तो अब मीशा की पैदाइश के बाद आप सोचते हैं कि गाली-

गलौज वाली या डार्क फिल्में नहीं करेंगे?

वाकई यह बहुत ही अच्छा सवाल है। यकीनन मेरी सोच और फिल्मों के चुनाव पर फर्क पड़ा है। मैंने खुद से सवाल किया कि अच्छा ऐसा क्यों हो रहा है कि मेरी चॉइसेज बदल रही हैं। मैं पहले एजी, एक्सपेरिमेंटल, हार्ड और डार्क चीजें ज्यादा करता था, मगर पिता और पति बनने के बाद मुझे लगा कि कुछ ऐसे विषय भी करने चाहिए, जो परिवार के नजरिए से हों। मैं ऐसी फिल्में करना चाहूंगा, जिसे मैं अपनी बेटी मेरे साथ देख सकूं।
https://www.youtube.com/watch?v=V71a5xPROZM

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button