
रायपुर : शायद आप सोचते होंगे लोग, क्यों लाखों रुपए ज्यादा खर्च कर प्राइवेट बिल्डर से प्रॉपर्टी खरीदते हैं, इसकी बानगी आपको देखनी है, तो एक बार, कचना हाउसिंग बोर्ड के बने मकानों का दौरा कर लें, जिसे देखकर आपको इसकी वजह आसानी से समझ आ जाएगी.
ये फोटो देखिए और अंदाजा लगाइये कि क्यों हाउसिंग बोर्ड के मकानों को खरीदने में दिलचस्पी नहीं दिखाई ।
दरअसल हाउसिंग का निर्माण कार्य तो घटिया है ही, यहां ड्रेनेज सिविरेज लाईन भी भ्रष्टाचार की भेट चढ़ गये है। जिसके कारण गंदे पानी की निकासी का कोई रास्ता नहीं है।ड्रेनेज व सीवरेज के गंदे पानी को हमेशा पम्प से निकालने का असमाधान प्रयास केवल दिखावे के लिए काम किया गया । लाखों रुपय अधिकारियों द्वारा, ठेकेदार व कर्मचारियो को बिना काम किये मेंटनेंस के नाम पर भुगतान किया जा रहा हैं। एंव पानी जैसी मूलभूत सुविधा भी यहा सही नही हैं।
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अधिकारी नहीं सुनते हैं ।
कचना फेस-1 परसुलीडीह सहित, कोई भी छत्तीसगढ हाउसिंग बोर्ड की कालोनी देख लो जिसमें से कचना फेस-1 EWS का एक नजारा आप स्वंय देख चुके हैं, फिर आप चाहे अपनी समस्याओं के लिए हाउसिंग बोर्ड विभाग व अधिकारियों के चक्कर पे चक्कर लगाते रहे । क्यूंकि हाऊसिंग बोर्ड के माननीय अध्यक्ष भूपेन्द्र सवनी जी हैं। जो विकास यात्रा के प्रभारी भी हैं, स्थानीय लोगों का आरोप है कि भूपेंद्र सिवनी उनकी एक नहीं सुनते, वे शायद कागजों पर ही विकास करने में भरोसा रखते हैं ।
बीच में फंसे कचना हाउसिंग बोर्ड रहवासी !
यहां जनता के जनप्रतिनिधि विधायक, पार्षद भी पंचवर्षीय योजनाओं में वोट लेने के बाद दिखायी नहीं देते।नगर निगम भी निगम की सीमा में होने के बाद भी कोई काम नहीं करता, क्योंकि कालोनी हाऊसिंग बोर्ड विभाग की है। लिहाजा चक्की के दो पाटों के बीचो-बीच पिस रहा कचना हाउसिंग बोर्ड ।
मकान बेचने मेला लगाया लेकिन कोई नहीं आया
हाउसिंग बोर्ड ने हाल ही में प्रॉपर्टी बेचने के लिए यहां मेले का आयोजन किया था, लेकिन हालात ये रहे कि यहां पहुंचे अधिकारी और बैंक कर्मचारी बस बैठे ही दिखे, न यहां किसी ने भी मकानों को खरीदने में रुची दिखाई, एक्का-दुक्का ग्राहकों को छोड़ दें तो, न ही ग्राहकों ने यहां की जानकारी लेने पहुंचे ।
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