कैसे सबसे कम उम्र में महापौर बने देवेंद्र यादव,बचपन के प्यार को पाने करना पड़ा कितना संघर्ष ?
नमस्कार दोस्तों, फोर्थ आई न्यूज़ में आप सभी का बहुत-बहुत स्वागत है. दोस्तों आज हम आपको भिलाई से विधायक और यहाँ से पूर्व महापौर रहे देवेंद्र यादव के बारे में बताने जा रहे हैं। यूं तो भिलाई मेयर देवेंद्र यादव ने 2018 का विधानसभा चुनाव 2018 में पहली बार जीता था मगर उसके पहले ही उनके नाम एक बड़ा रिकॉर्ड रहा है। इसके बारे भी हम आगे आपको बताएंगे। आपको बता दें कि भिलाई विधायक देवेंद्र यादव की प्रेम कहानी भी काफी अनोखी रही है जिसका ज़िक्र हम आज इस वीडियो में रहेंगे अंत तक बने रहिए हमारे साथ।
देवेंद्र यादव का जन्म 19 फरवरी 1990 को भिलाई में हुआ था। देवेंद्र यादव उन लाखों लोगों में एक नाम है जो स्टील सिटी भिलाई से एक बहुत ही सामान्य पारिवार से आते हैं। वह अपने 5 भाई-बहनों में सबसे छोटे हैं। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा भिलाई के एक बहुत ही प्रतिष्ठित शिक्षा संस्थान, भिलाई नायर समाजम से की है। स्कूली शिक्षा के शुरुआती दिनों से ही देवेंद्र की रुचि छात्र राजनीति में और उत्साही हो गई। अपने महान मिलनसार स्वभाव के कारण, वे अपने शिक्षकों और साथियों के बीच प्रिय थे। स्कूली शिक्षा के बाद, वह करियर की तलाश में और पायलटिंग का कोर्स करने के लिए भोपाल चले गए। लेकिन बहुत जल्द, मिनी इंडिया भिलाई के लिए उनके प्यार ने उन्हें वापस ला दिया।
एक ऐसा दौर आया जब रूंगटा इंजीनियरिंग कॉलेज के एक कंप्यूटर विज्ञान के छात्र ने छात्र राजनीति में प्रवेश किया और बहुत जल्द ही वह विभिन्न कॉलेजों के अन्य छात्रों तक पहुंच गया, इसने उनके महान राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। देवेंद्र 2009 में भारतीय राष्ट्रीय छात्र संघ (NSUI) दुर्ग जिले के अध्यक्ष बने, इसने उनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत को चिह्नित किया। 2011 में, NSUI के अध्यक्ष पद के लिए राज्य का चुनाव निर्धारित था, इस दौरान देवेंद्र शानदार प्रदर्शन कर रहे थे दुर्ग जिला एनएसयूआई अध्यक्ष ने उन्हें प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए शीर्ष दावेदारों में से एक बना दिया। और बाद में यह दावेदार जहाज एक बड़ी जीत में बदल गया, जिससे देवेंद्र को सबसे कम उम्र के प्रदेश अध्यक्ष होने का गौरव प्राप्त हुआ। एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान, कांग्रेस पार्टी विपक्ष में थी, जो उन्हें पार्टी की प्रमुख जिम्मेदारियां मिलने का एक कारण था। बाद में उन्हें एनएसयूआई की राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने विभिन्न दायित्व सौंपे |
2016 में, भिलाई नगर निगम का चुनाव निर्धारित था और आलाकमान ने अपने नवोदित छात्र नेता को पार्टी से टिकट दिया। देवेंद्र यादव ने 45 हजार से अधिक मतों के अंतर से जीत हासिल की और देश के दूसरे सबसे कम उम्र के महापौर के रूप में महापौर की शपथ ली, जिसके बाद पार्टी ने उन्हें भी पदोन्नत किया और उन्हें एनएसयूआई से युवा विंग में पदोन्नत किया। 2017 में, उन्हें भारतीय युवा कांग्रेस का राष्ट्रीय सचिव बनाया गया और उन्हें मध्य प्रदेश के प्रभारी की जिम्मेदारी दी गई।
आप को बता दें कि देवेंद्र यादव भारत के दूसरे सबसे कम उम्र के महापौर बन गए. इससे पहले यह रिकॉर्ड महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडनवीस के नाम था. निर्वाचन आयोग में दी जानकारी के अनुसार, देवेंद्र यादव की बर्थ डेट 19 फरवरी 1990 है. इस आधार पर मेयर बनते समय उनकी उम्र 25 साल 10 महीने थी. सन् 1970 में जन्मे फडनवीस 1997 में 27 साल की उम्र में मेयर बने थे. देश में सबसे कम उम्र में मेयर बनने का रिकॉर्ड संजीव नायक के नाम है. वे मई 1995 में 23 साल की उम्र में नवी मुंबई के मेयर बने थे।
साल 2018 में राज्य में विधानसभा चुनाव होने थे, जिसमें भिलाई नगर की लोकप्रिय सीट से देवेंद्र यादव को विधायक पद का उम्मीदवार बनाया गया था. अपनी लोकप्रियता और कड़ी मेहनत के दम पर उन्होंने विधानसभा चुनाव भी जीता और छत्तीसगढ़ के सबसे युवा विधायक बने। वर्तमान में वह छत्तीसगढ़ की भिलाई नगर सीट से विधायक हैं। देवेंद्र यादव ने उस विधानसभा चुनाव में कुल 51,044 वोटों से जीत हासिल की थी उन्होनें बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री प्रेम प्रकाश पांडेय को चुनाव हराया था। जिन्हें उस चुनाव में 48,195 वोट मिले थे।
आपको बता दें कि राजनितिक जीवन के अलावा देवेंद्र यादव की निजी ज़िन्दगी भी काफी रोचक रही है। जब देवेंद्र यादव स्कूल में थे तब 11th क्लास में वो श्रुतिका ताम्रकार को अपना दिल दे बैठे, इसके बाद देवेंद्र का पढ़ाई-लिखाई में मन लग्न बिलकुल बंद हो गया। देवेंद्र और श्रुतिका जब दोनों भिलाई के नायर समाजम स्कूल में पढ़ते थे. केमेस्ट्री लैब में दोनों की नजरे टकराई, फिर प्यार का सिलसिला आगे बढ़ा.उन्होनें जैसे-तैसे 11th और 12th के एग्जाम्स पास किए. इसके बाद श्रुतिका MBBS की पढ़ाई करने रशिया चली गईं और देवेंद्र यहीं रह गए।
मेयर देवेन्द्र के मुताबिक उन्हें श्रुतिका ने समझाया कि पहले कॅरियर बनाओ, फिर मिलेंगे. इसके बाद देवेंद्र पायलट का कोर्स करने भोपाल चले गए, लेकिन वहां भी उनका मन नहीं लगा. भिलाई लौटकर कर उन्होंने रूंगटा इंजीनियरिंग कॉलेज से इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू की. थर्ड सेमेस्टर में जाते ही उन्होंने स्टूडेंट्स यूनियन एनएसयूआई का चुनाव लड़ा और जिला अध्यक्ष बन गए।
दुर्ग जिले के धमधा की रहने वाली श्रुतिका के परिवार वाले इस शादी के लिए तैयार नहीं थे. उन्हें मनाने के लिए तीन साल लग गए. वजह सिर्फ ये थी कि देवेंद्र छात्र नेता थे. उन्होंने श्रुतिका के परिवारवालों से वादा किया था कि कुछ बनकर दिखाएंगे.इस लव स्टोरी में ट्रम्प कार्ड साबित हुआ देवेन्द्र का करीब 46 हजार वोटों की बड़ी जीत के साथ महापौर निर्वाचित होना।
साल 2016 में 1 दिसंबर के दिन देवेंद्र अपनी प्रेमिका डॉ. श्रुतिका ताम्रकार से शादी की थी. श्रुतिका रायपुर स्थित शासकीय भीम राव अंबेडकर अस्पताल में डॉक्टर हैं. परिवार वालों के राजि होने के बाद देवेन्द्र व श्रुतिका की शादी का सामाजिक विरोध भी हुआ. अंतरजातीय विवाह का दुर्ग के एक कथित यादव संगठन ने बहिष्कार करने का निर्णय लिया. इसको लेकर मीडिया में बकायदा प्रेस रिलीज भी दी गई. लेकिन समाज के अन्य वर्ग के लोगों ने इसे राजनैतिक विरोध के रूप में माना और शादी का समर्थन किया।
इसके बाद से तो देवेंद्र यादव ने जो उपलब्धि हासिल की वो सबके सामने है, खबर मिल रही है कि उनकी रौबदार छवि और युवाओं से घनिष्टता के मद्देनज़र इस बार कांग्रेस उन्हें रिसाली से टिकट दे सकती है, और इस बार अगर देवेंद्र दोबारा विधायक बने तो वो मंत्रिमंडल में भी शामिल हो सकते हैं, दोस्तों, आपको क्या लगता है क्या इस बार का चुनाव भी देवेंद्र यादव जीत पाएंगे।