धान को लेकर केन्द्र और राज्य सरकार के बीच टकराव

सेन्ट्रल पूल में 24 लाख मीट्रिक टन धान लिए जाने की सीमा बढ़ाकर 32 लाख किये जाने की राज्य शासन की मांग को केन्द्र सरकार ने ठुकरा दिया है. इसके अलावा समर्थन मूल्य बढ़ाने पर भी असहमति जताई है. इसके कारण अब केंद्र की मोदी सरकार और राज्य की भूपेश सरकार के बीच टकराव बढ़ने के आसार बढ़ गए हैं. छत्तीसगढ़ के मुख्य अखबारों ने मंगलवार को धान को लेकर केन्द्र और राज्य सरकार के बीच टकराव की स्थिति को प्रमुखता से प्रकाशित किया है. इसके साथ ही बीते सोमवार को भूपेश कैबिनेट की बैठक में हुए फैसलों को भी प्रमुखता से शामिल किया गया है.
भूपेश कैबिनेट ने केंद्र का डटकर सामना करने और राज्य के किसानों से 2500 रुपये प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदने के फैसले को जारी रखने का निर्णय लिया है. सोमवार को मंत्रालय में हुई बैठक में कैबिनेट ने धान खरीदी की मौजूदा स्थिति की समीक्षा के बाद फैसला किया कि कस्टम मिलिंग के बाद बचा हुआ चावल नागरिक आपूर्ति निगम (नान) के जरिये बेचने की व्यवस्था की जाएगी.
बैठक के बाद कैबिनेट मंत्री रविन्द्र चौबे और मो. अकबर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि 17 दिसंबर को सीएम भूपेश बघेल ने केंद्र को पत्र भेजकर सेंट्रल पूल का कोटा 24 से बढ़ाकर 32 लाख मीट्रिक टन करने की मांग की थी, लेकिन केंद्र की ओर से आए जवाब में इस मांग को ठुकरा दिया गया है. पिछले साल धान खरीदी के लिए 75 लाख मीट्रिक टन खरीदी का लक्ष्य रखा गया था. अब इसे बढ़ाकर 88 लाख मीट्रिक टन कर दिया गया है.
अब तक 71 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी हो चुकी है. अनुमान है कि इस बार 88 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी होगी. राज्य में 126 लाख मीट्रिक टन धान का कुल उत्पादन होता है, जिसका 71 फीसदी सरकार खरीदती है. केंद्र और राज्य के पूल में से अरवा चावल की 31 लाख मीट्रिक टन चावल की जरूरत होती है. नईदुनिया, पत्रिका, नवभारत और हरिभूमि ने भी धान से जुड़ी इस खबर को पहले पन्ने पर जगह दी है.
कैबिनेट में ये अहम फैसले भी लिए गए
पांचवीं अनुसूचित में शामिल क्षेत्रों में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी की शासकीय नौकरियों में स्थानीय युवाओं को दी जा रही प्राथमिकता को जारी रखने का फैसला किया गया है. यह भर्ती दो साल और बढ़ाने के साथ ही बस्तर, सरगुजा संभाग के अलावे कोरबा जिले को भी इसमें शामिल करने का निर्णय लिया गया.
अब सीएसआईडीसी से होगी सरकारी खरीदी: मंत्री रविन्द्र चौबे ने बताया कि शासकीय विभागों में जेम के स्थान पर छत्तीसगढ़ राज्य औद्योगिक विकास निगम (सीएसआईडीसी) से सामग्री खरीदी का निर्णय लिया गया है. इसके लिये कैबिनेट ने छत्तीसगढ़ भंडार क्रय नियम 2002 में संशोधन किया है। अब सरकार जैम पोर्टल के जरिये खरीदी नहीं करेगी. सरकार खुद का पोर्टल बनाएगी। स्थानीय उद्योगों से भी सामग्री की खरीदी करने का फैसला किया गया.
लैंड डायवर्सन नियम आसान बनाया जाएगा: खाद्य मंत्री मो. अकबर ने बताया कि छोटे भूखंडों की रजिस्ट्री में आ रही दिक्कतों को दूर करने के लिए कैबिनेट ने लैंड डायवर्सन को सरलीकरण करने का फैसला भी किया है. इसे लिए जल्द ही नियम बनाए जाएंगे. ताकि जमीन हस्तांतरण को लेकर आने वाली पेचिदगियां दूर हों. बता दें कि सरकार ने पिछले ही दिनों 5 डिसमिल तक के भू्खंडों पर रजिस्ट्री की अनुमति दी थी. इसके बाद भी कुछ पेचीदगियों से लोगों को जूझना पड़ रहा है. कैबिनेट में हुए इन अहम फैसलों को लगभग सभी मुख्य अखबारों में पहले पन्ने पर जगह दी है.