पढ़ने लिखने में माहिर प्रियंका बनना चाहती थी प्रशासनिक अधिकारी, मगर नियति को था कुछ और ही मंज़ूर
प्रियंका हत्याकांड

फोर्थ आई न्यूज़ आपको लगातार छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में हुए प्रियंका हत्याकांड की अपडेट देता आ रहा है। हमने हाल ही में आपको इस पूरे कत्ल की कहानी विस्तार से बताई थी जिसे आप ऊपर आई बटन पर क्लिक करके देख सकते हैं। अब हम आपको मृतका प्रियंका सिंह से जुडी कुछ और अहम् जानकारियां देने जा रहे हैं। जैसा की हमने आपको बताया था कि भिलाई निवासी प्रियंका सिंह की हत्या उसके ही साथ शेयर मार्किट में पैसे लगाने वाले आशीष साहू ने कर दी थी, लेकिन ऐसा नहीं था की प्रियंका सिर्फ शेयर मार्किट में ही पैसे लगाकर अपना जीवन-यापन कर रही थी, बल्कि उसका मकसद इससे कहीं बड़ा था। प्रियंका के सपने बहुत बड़े थे जिन्हें वो जीते जी पूरा करना चाहती थी, मगर आशीष ने उन तमाम सपनों को उसके क़त्ल के साथ ही कुचलकर रख दिया।
24 वर्षीय प्रियंका सिंह मूल रूप से भली की रहने वाली थी। वो अपने पिता बृजेश सिंह के साथ भिलाई के सेक्टर 7 में निवास करती थी। प्रियंका सिंह के पिता एक बैंक में मैनजेर हैं वहीं उसके दादाजी बीएसपी से रिटायर हुए हैं। कुछ समय पहले ही प्रियंका अपने भिलाई वाले घर से दूर पढ़ाई के सिलसिले में बिलासपुर शिफ्ट हो गई, यहाँ वो सिटी कोतवाली थाना क्षेत्र के टिकरापारा मन्नू चौक स्थित एक गर्ल्स हॉस्टल में रूम लेकर रह रही थी। प्रियंका सिंह PSC की तैयारी कर रही थी। प्रियंका स्कूल के समय से ही पढ़ाई में होनहार थी। दिसंबर में उसका कोचिंग पूरा होने वाला था। इसके बाद वह अपने घर जाकर तैयारी करने की योजना बनाई थी। प्रियंका एक सर्वसम्पन्न घराने से ताल्लुक रखती थी। वह अपनी पॉकेट मनी बचाकर रखती और अपना खर्च चलाने के लिए इन्वेस्ट करती थी। वह ट्यूशन पढ़ाकर भी पैसे जुटाकर रखती थी। स्वभाव से भी प्रियंका बहुत दीन-नम्र थी वो हमेशा अपनी सहेलियों की आर्थिक मदद करती थी, और काफी उदार स्वभाव की थी।
आपके मन में शायद यह सवाल उठ रहा होगा कि जब प्रियंका इतनी काबिल इतनी नेक थी तब वो आशीष जैसे लड़के की पहचान में कैसे आई ? तो चलिए हम आपको बताते हैं दरअसल, बिलासपुर के दयालबंद के पंजाबी कॉलोनी स्थित जिस कोचिंग सेंटर में प्रियंका पढ़ने जाती थी। वह मेन रोड से अंदर है। लिहाजा, प्रियंका और उसकी सहेलियां सिटी फार्मेसी मेडिकल स्टोर सामने अपनी गाड़ी खड़ी करती थी। कोचिंग के बाद बाहर आने पर वहां सहेलियों से बातें करती थी। इसी दौरान करीब सात माह पहले आशीष से उसकी जान पहचान हुई। आरोपी आशीष साहू पहले से ही शादी-शुदा था सन 2020 में उसकी शादी हुई थी, बिलासपुर के कस्तूरबा नगर में उसका निवास था, आशीष साहू ने चौकसे कॉलेज से फार्मेसी किया। इसके बाद अपनी डिग्री हासिल कर वह दयाबंद में सिटी फार्मेसी के नाम से मेडिकल स्टोर संचालित करने लगा। मेडिकल दुकान नहीं चलने पर वह शेयर मार्केट में पैसा लगाने लगा।
उसकी आर्थिक स्थिति को जानकर आशीष ने उसे शेयर मार्केट में प्रॉफिट होने की जानकारी दी। इसके बाद से ही प्रियंका हर माह शेयर मार्केट में पैसे लगाने लगी। शुरूआती दौर में तो सबकुछ ठीक था। प्रियंका को शेयर मार्केट के पैसे पर प्रतिमाह 40 प्रतिशत का प्रॉफिट हो रहा था। पिछले महीने ही प्रियंका ने 12 लाख रुपए आशीष को दिए थे, जिसमें से साढ़े तीन लाख रुपए प्रॉफिट देने की बात दोनों के बीच तय हुई थी। पर शेयर मार्केट में हुए घाटे की वजह से आशीष रकम नहीं दे पाया।
15 नवंबर का दिन था जब दोपहर करीब डेढ़ बजे प्रियंका आशीष साहू की दुकान पर आ धमकी। इस दौरान वह पैसे मांगते हुए आशीष को चिल्लाने लगी। आशीष ने उसे दुकान के अंदर बैठकर बात करने बुलाया। फिर दुकान का शटर गिरा दिया। प्रियंका के मना करने पर उसने ग्राहक आने पर डिस्टर्ब होने की बात कहने लगा। बातचीत के दौरान ही उनके बीच बहस हो गई और आशीष ने गला दबा दिया। प्रियंका के चिल्लाने पर आवाज न आए इसलिए उसने मेडिकल स्टोर में रखे रूई का बंडल निकालकर उसके मुंह में दबा दिया। धीरे धीरे दम घुटने से प्रियंका की मौत हो गई।
वहीं प्रियंका के घरवाले जब उससे संपर्क करने की कोशिश कर रहे थे तब उसका मोबाइल लगातार बंद आ रहा था। उसके रूम पार्टनर से पूछने पर पता चला कि वह रूम नहीं लौटी है। इससे घबराए प्रियंका का भाई हिमांशु सिंह दूसरे दिन बिलासपुर पहुंचा और प्रियंका की कोई खोज-खबर ना मिलते देख सिटी कोतवाली थाने में उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। तब से पुलिस उसकी लगातार तलाश में जुटी हुई थी। प्रियंका के दोस्तों से पूछताछ करने पर आशीष साहू का एंगल सामने आया। आरोपी आशीष साहू ने प्रियंका की हत्या की बात कबूल ली। पुलिस ने उसकी निशानदेही पर उसकी दुकान के सामने नाली से प्रियंका का मोबाइल भी बरामद कर लिया है, जिसे उसने हत्या की वारदात के बाद नाली में डाल दिया था। और इस तरह से प्रियंका की लाश के साथ ही उसके प्रशासनिक अफसर बनने का सपना भी बह गया। यह घटना बेहद दुखद है। ऐसे आपराधिक प्रवत्ति के इंसान के फेर में पड़कर प्रियंका को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा, और अब उसके परिवार को सिर्फ पछतावा हो रहा है।