नईदिल्ली : चीफ जस्टिस पर आएगा महाभियोग

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जजों द्वारा चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की कार्यशैली पर सवाल उठाने के कुछ महीने बाद अब राजनीतिक दलों ने भी चीफ जस्टिस के खिलाफ मोर्चा खोलने का मन बना लिया है। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस ने चीफ जस्टिस मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव का एक मसौदा कई दलों को बांटा है। जनवरी में सीपीएम महासचिव सीतराम येचुरी ने भी कहा था कि वह विपक्षी दलों के साथ मिलकर जस्टिस मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने पर चर्चा कर रहे हैं।
अभीतक कांग्रेस जस्टिस मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर हिचक रही थी और इसके पीछे इस मामले को लेकर पार्टी के भीतर आम राय का न होना बताया जा रहा था। सूत्रों के मुताबिक, इस मुद्दे पर पार्टी के भीतर कानूनी विशेषज्ञ नेताओं सहित तमाम नेताओं की दो राय था। एक धड़ा जहां मिश्रा के खिलाफ प्रस्ताव का समर्थन करने की बात कर रहा था, वहीं दूसरे धड़े की राय थी कि फिलहाल हमें न्यायपालिका में दखल देने की जरूरत नहीं है। इस धड़े की दलील थी कि एक व्यक्ति के बहाने पूरी न्यायपालिका को निशाना नहीं बनाया जा सकता। माना जा रहा था कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी इस धड़े की राय से सहमत थे, लेकिन कई दौर की बैठकों के बाद कांग्रेस ने चीफ जस्टिस के खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव लाने का मन बनाया है।
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट के 4 जजों जस्टिस जे चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन भीमराव लोकुर, जस्टिस कुरियन जोसेफ ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की प्रशासनिक कार्यशैली पर सवाल उठाए थे। प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद चारों जजों ने एक चि_ी जारी की थी, जिसमें गंभीर आरोप लगाए गए थे। जजों के मुताबिक यह उन्होंने चीफ जस्टिस को लिखी थी। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को संबोधित 7 पन्नों के पत्र में जजों ने कुछ मामलों के असाइनमेंट को लेकर नाराजगी जताई थी। जजों का यह भी आरोप थे कि चीफ जस्टिस की ओर से कुछ मामलों को चुनिंदा बेंचों और जजों को ही दिया जा रहा है।
कैसे आता है महाभियोग प्रस्ताव
किसी भी जज के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव संसद के किसी भी एक सदन में लाया जा सकता है। लोकसभा में महाभियोग प्रस्ताव आने के लिए सदन के कम से कम 100 सदस्यों के प्रस्ताव के पक्ष में समर्थन दस्तखत के रूप में होना चाहिए। वहीं, राज्यसभा में इस प्रस्ताव के लिए सदन के 50 सदस्यों के समर्थन की जरूरत होती है। किसी भी सदन में यह प्रस्ताव आता है तो उस प्रस्ताव पर सदन का सभापति या अध्यक्ष उस प्रस्ताव को स्वीकार या खारिज कर सकता है।
दबाव की रणनीति
बताया जा रहा है कि महाभियोग प्रस्ताव के पीछे विपक्ष की रणनीति दबाव बनाने की भी है। दरसअल, विपक्ष की मंशा चीफ जस्टिस पर दबाव की है। विपक्ष मानता है कि आने वाले समय में कई अहम मामले उनके सामने आनेवाले हैं। चीफ जस्टिस का कार्यकाल आगामी 2 अक्टूबर तक है। इस दौरान कई महत्वपूर्ण मामले उनके समक्ष आ सकते हैं।