आरटीआई के लिए जानकारी बनानी नहीं है, उपलब्ध जानकारी ही देनी है
सूचना के अधिकार के अंतर्गत चाही गई जानकारी जनसूचना अधिकारी को तैयार नहीं करनी है। कार्यालय में इससे संबंधित जो दस्तावेज हैं उसे ही उपलब्ध कराना है। सूचना के अधिकार की बारीकियों का जितना अध्ययन करेंगे, उससे आवेदकों को सही और संतोषप्रद जानकारी उपलब्ध कराने में उतनी ही मदद मिलेगी। यह बात आज दुर्ग जिले में आयोजित सूचना के अधिकार विषय पर आयोजित कार्यशाला में प्रतिभागियों की जिज्ञासाओं का समाधान करने के दौरान राज्य के मुख्य सूचना आयुक्त एमके राऊत ने कही। कार्यशाला में जिले के आरटीआई से संबंधित जनसूचना अधिकारी और प्रथम अपीलीय अधिकारी मौजूद रहे। कार्यशाला में प्रतिभागियों की जिज्ञासा का समाधान राज्य सूचना आयुक्त अशोक अग्रवाल, मनोज त्रिवेदी एवं धन्वेंद्र जायसवाल ने भी किया। आयोग के संयुक्त संचालक धनंजय राठौर ने कार्यशाला में विस्तार से अधिनियम की बारीकियों की जानकारी दी। इस दौरान आयोग के सचिव आनंद मसीह भी मौजूद रहे। कलेक्टर पुष्पेंद्र कुमार मीणा ने दुर्ग जिले में सूचना के अधिकार पर कार्यशाला रखने के लिए आयोग के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यशाला के दौरान बड़ी संख्या में प्रतिभागियों ने अपनी जिज्ञासा रखी और आयोग के अधिकारियों ने उसका समाधान किया। जानकारी उसी रूप में देना है, जैसी आपके पास है- कार्यशाला में प्रतिभागियों की जिज्ञासाओं का समाधान करते हुए मुख्य सूचना आयुक्त ने कहा कि आवेदक को जानकारी उसी रूप में देना है जैसी जानकारी आपके पास है। कई बार आवेदक निर्धारित प्रपत्र में जानकारी मांगते हैं लेकिन आपको जानकारी उसी रूप में देनी है जैसेकि आपके पास है। आपके कार्यालय में संधारित सभी सामग्री जैसे आदेश, ज्ञापन, ई-मेल, परिपत्र, प्रेस विज्ञप्ति , लाग बुक, इलेक्ट्रानिक रूप से धारित आंकड़ा ऐसी सामग्री हो सकती है। अब आवेदकों को ऐसी सुविधा भी मिलेगी जिससे वो आनलाइन भी पेमेंट कर सूचना के अधिकार के अंतर्गत आवेदन दे सकता है। रजिस्टर्ड डाक से जानकारी भेजनी बेहतर है- आयोग के अधिकारियों ने कहा कि रजिस्टर्ड डाक से जानकारी भेजनी ही बेहतर होती है क्योंकि आपके पास इसका प्रमाण होता है। रजिस्टर्ड डाक से भेजी जाने वाली डाक पोस्टल डिपार्टमेंट सीधे संबंधित व्यक्ति को उपलब्ध कराता है इसके चलते आवेदक तक सूचना के पुख्ता रूप से पहुंच जाने की पुष्टि हो जाती है। जो जानकारी संबंधित नहीं, उसे पांच दिन के भीतर अंतरित कर दें- आयोग के अधिकारियों ने बताया कि कई बार दूसरे विभाग से संबंधित जानकारी आवेदक द्वारा चाही जाती है। इसे पांच दिन के भीतर विभाग को अंतरित कर देना होता है अन्यथा की स्थिति में जनसूचना अधिकारी द्वारा स्वयं उस विभाग से जानकारी लेकर आवेदक को देना होगा।व्यक्तिगत सूचना मांगने पर ये करें- आयोग के अधिकारियों ने कहा कि कई बार आवेदकों द्वारा व्यक्तिगत सूचना मांगी जाती है। ऐसी सूचना देने के लिए संबंधित व्यक्ति से पूछ लेना चाहिये कि क्या उसकी सूचना साझा कर सकते हैं। व्यक्तिगत जानकारी से संबंधित कुछ सूचनाएं नहीं देनी चाहिए, कुछ सूचनाएं जो व्यापक लोकहित के लिए दिये जाना जनसूचना अधिकारी को जरूरी लगता है उसे साझा किया जा सकता है। कई बार सूचना दिये जाने से स्रोतों के अनुनपातिक रूप से विचलित होने की आशंका होती है। ऐसे में अवलोकन के लिए आवेदक को बुलाया जा सकता है। पहले घंटे यह अवलोकन नि:शुल्क रहेगा, फिर पांच रुपए प्रति घंटे शुल्क लगेगा।