जगदलपुर : शीघ्र ही समूचे भारत वर्ष में बस्तर में उत्पादित जैविक काजू की आपूर्ति होगी और भारत के नागरिक इसे खाकर हष्टपुष्ट हो सकते हैं। काजू तो भारत के कई स्थानों पर होता है। लेकिन जैविक खाद से उगाये गये काजू की गुणवत्ता ही अलग होती है। इस जैविक काजू में रोग प्रतिरोधक क्षमता के साथ-साथ पोषण के भी सभी तत्व विद्यमान होते हैं। अब बस्तर में ही यह काजू जैविक काजू के रूप में ग्राम करमरी की महिला शक्ति उत्पादित कर बस्तर का नाम बढ़ा रही है।
जैविक काजू की आपूर्ति
उल्लेखनीय है कि इसे उगाने और पकाने के लिए किसी भी रसायन का प्रयोग नहीं किया गया है। इस काजू का उत्पादन करमरी गांव की मां जगदंबा महिला स्व सहायता समूह और मां सरस्वती स्व सहायता समूह की महिलाएं कर रही हैं। इन महिलाओं ने जिस काजू का उत्पादन किया है। अभी इसका मूल्य चार सौ से 780 रुपए तक रखा गया है। इसकी ब्रिक्री के लिए दो केन्द्र भी खोले गये हैं। इनमें से एक हरिहर बाजार में काजू पहुंचा कर इसकी बिक्री भी शुरू कर दी गई है।
काजू का उत्पादन किया है
यह भी इस संबंध में विशेष तथ्य है कि हरिहर बाजार को उन महिला स्व सहायता समूह के लिए विकसित किया गया है जो जैविक पदार्थों का उत्पादन करती हैं। महिलाओं ने एक सौ किलो बीज से करीब 25 किलो काजू की पहली खेप तैयार की है जो बाजार में बिकने लिए पहुंच गई है। इस संबंध में इन महिलाओं को कृषि महाविद्यालय के छात्रों ने सुझाव दिया था और उनके सुझाव तथा आवश्यक सहायता से जैविक काजू के उत्पादन की शुरूआत हुई।