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Khairagarh By Election: किसी भी पार्टी को लगातार नहीं जिताती यहां की जनता, इस बार किसका पलड़ा भारी ?

छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले की खैरागढ़ विधानसभा सीट पर एक बार फिर चुनाव होने जा रहे हैं. ये सीट राजा देवव्रत सिंह के निधन के बाद खाली हुई थी. अब इस सीट पर 12 अप्रेल को चुनाव होने जा रहे हैं. वहीं 16 अप्रैल को मतगणना होगी. इस सीट के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं, इसका इतिहास क्या रहा है?, पिछले चार चुनावों में यहां कौन विधायक बना?  

खैरागढ़ के राजनीतिक इतिहास के बारे में जानें उससे पहले आप ये जान लीजिये, कि खैरागढ़ छत्तीसगढ़ की खास जगहों में से एक क्यों है. दरअसल खैरागढ़ का इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय एशिया के उन कुछ चुनिंदा संस्थानों में से है, जो संगीत और कला को पूरी तरह समर्पित है। यह एशिया का पहला ऐसा संस्थान है, जो कला और संगीत में उच्च शिक्षा देने हेतु स्थापित किया गया। खैरागढ़ आजादी से पहले एक छोटी-सी स्वतंत्र रियासत हुआ करती थी, जहां के राजा बीरेंद्र बहादुर सिंह और रानी पद्मावती ने ही 1956 में इस विश्वविद्यालय की नींव रखी थी। इसकी स्थापना के लिए उन्होंने अपना राजभवन दान किया था। आज भी विश्वविद्यालय का कामकाज इसी भवन में होता है।

अब चलिये खैरागढ़ विधानसभा के राजनीतिक इतिहास की बात करते हैं. शुरूआत साल 2003 से करते हैं. साल 2003 विधानसभा चुनाव में इस सीट से स्वर्गीय देवव्रत सिंह विधायक बने थे. वे उस वक्त कांग्रेस पार्टी में शामिल थे और उन्होने ये चुनाव 17907 वोटों से जीता था. इस चुनाव में देवव्रत सिंह को कुल 46339 वोट मिले थे. जबकि भाजपा के सिद्धार्थ सिंह को 28432 वोट मिले.

इसके बाद साल 2008 में इस सीट से भाजपा के कोमल जंघेल ने ये सीट कांग्रेस से छीन ली. उन्होने कांग्रेस के मोतीलाल जंघेल को 19539 वोटों से हराया. इस चुनाव में कोमल जंघेल को 62437 वोट मिले, तो वहीं कांग्रेस के मोतीलाल जंघेल 42893 वोट मिले थे.

अब आया साल 2013. इस चुनाव में एक बार फिर कांग्रेस ने ये सीट भाजपा से छीन ली. इस सीट पर इस बार गिरवर जंघेल विधायक बने. उन्होने सिटिंग एमएलए कोमल जंघेल को करीबी मुकाबले में 2190 वोट से मात दी. इस चुनाव में गिरवर जंघेल को 70133 वोट मिले, तो वहीं कोमल जंघेल को 67943 वोट हासिल हुए.

पिछले विधानसभा चुनाव यानि 2018 में हालात बदल चुके थे. वो अजीत जोगी जो कांग्रेस पार्टी की रीड माने जाते थे, उन्होने अपनी पार्टी जनता कांग्रेस बना ली थी.और इस चुनाव में अजीत जोगी की पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ ने उलटफेर कर दिया.

उनकी पार्टी से चुनाव लड़ रहे देवव्रत सिंह ने, कांग्रेस और बीजेपी दोनों को हरा दिया. जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के टिकट पर देवव्रत सिंह ने बेहद कांटेदार मुकाबले में बीजेपी के कोमल जंघेल को महज 870 मतों के अंतर से हरा दिया. वहीं सिटिंग एमएलए कांग्रेस के गिरवर जंघेल तीसरे स्थान पर रहे.

अब ये सीट देवव्रत सिंह के निधन के बाद खाली हो गई है. जिसके बाद यहां उपचुनाव कराए जा रहे हैं. आप इसे डेढ़ साल बाद होने वाले विधानसभा चुनाव की रिहर्सल भी कह सकते हैं. क्योंकि खैरागढ़ के लोग कभी पार्टी से प्यार नहीं करते, बल्कि वे प्रत्याशी को परखते हैं और उसी के मुताबिक वोट करते हैं. यहीं वजह रही कि पिछले चार चुनावों में क्षेत्र की जनता ने किसी एक पार्टी को लगातार दो बार चुनाव नहीं जिताया है. आपको क्या लगता है, इस बार कौन यहां से बाजी मारने जा रहा है. नीचे कमेंट कर जरूर बताएं.

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