छत्तीसगढ़ न्यूज़ | Fourth Eye News

25 साल में बदला कोरबा: चार से बारह तहसीलों तक की विकास यात्रा, राजस्व सेवाएं हुईं गांव-गांव तक आसान

रायपुर। साल 2000 में जब छत्तीसगढ़ राज्य का गठन हुआ, तब कोरबा जिले की प्रशासनिक तस्वीर सीमित थी। उस वक्त यहां सिर्फ चार तहसीलें—कोरबा, करतला, कटघोरा और पाली—ही अस्तित्व में थीं। ग्रामीणों को अपने राजस्व मामलों के समाधान के लिए मीलों का सफर तय करना पड़ता था। नतीजतन, मामलों के निपटारे में देरी आम बात थी।

लेकिन 25 वर्षों में कोरबा ने विकास की एक नई कहानी लिखी है। बढ़ती आबादी और प्रशासनिक जरूरतों को समझते हुए राज्य सरकार ने समय-समय पर नई तहसीलों का गठन किया। आज जिले में कुल 12 तहसीलें कार्यरत हैं—कोरबा, करतला, कटघोरा, पाली, पोड़ीउपरोड़ा, अजगरबहार, भैसमा, बरपाली, दर्री, दीपका, हरदीबाजार और पसान।

नई तहसीलों का गठन वर्षवार इस प्रकार है:

पोड़ीउपरोड़ा – 2008

हरदीबाजार – 2020

दर्री – 2020

अजगरबहार – 2022

भैसमा – 2022

बरपाली – 2022

दीपका – 2022

पसान – 2022

इन नई तहसीलों ने न केवल प्रशासनिक पहुंच को आसान बनाया, बल्कि राजस्व सेवाओं को ग्रामीण अंचलों तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई। कलेक्टर अजीत वसंत की पहल पर हर 15 दिनों में राजस्व अधिकारियों की बैठक आयोजित की जाती है ताकि लंबित मामलों का समयबद्ध निराकरण हो सके।

राजस्व प्रकरणों के निपटारे में उल्लेखनीय वृद्धि:

वर्ष 2023-24 में दर्ज प्रकरण: 12,578

निराकरण: 5,828

वर्ष 2024-25 में दर्ज प्रकरण: 16,565

निराकरण: 12,642 (सफलता दर: 76.31%)

यह आंकड़े बताते हैं कि कोरबा में प्रशासनिक दक्षता और सेवा क्षमता में बड़ा सुधार हुआ है।

स्वामित्व योजना में भी कोरबा ने रचा रिकॉर्ड:

अब तक 9,114 अधिकार अभिलेख वितरित किए जा चुके हैं, जबकि आगामी 1 नवम्बर 2025 को 5,500 नए अभिलेखों का वितरण किया जाएगा। यह कदम ग्रामीणों को भूमि स्वामित्व का अधिकार देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में सशक्त पहल है।

कोरबा की कहानी:

यह सिर्फ आंकड़ों की नहीं, बल्कि बदलते कोरबा की कहानी है—जहां शासन जनता के द्वार तक पहुंचा और जनता की आवाज शासन तक। राजस्व प्रशासन के इस सुदृढ़ीकरण ने कोरबा को विकास और सुशासन की मिसाल बना दिया है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button