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कोरिया जिले को राष्ट्रीय स्तर पर मिला सम्मान, जनजातीय सशक्तिकरण में रचा नया इतिहास

रायपुर। नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में आयोजित राष्ट्रीय कॉन्क्लेव ऑन आदि कर्मयोगी अभियान में छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले ने अपनी विकास यात्रा के दम पर राष्ट्रीय स्तर पर एक बार फिर पहचान बनाई। इस आयोजन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने ‘धरती आबा जनजाति ग्राम उत्कर्ष अभियान’ के तहत उत्कृष्ट कार्यों के लिए कोरिया की कलेक्टर चंदन त्रिपाठी को सम्मानित किया।

इस मौके पर केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री जुएल ओराम, राज्य मंत्री दुर्गा दास उइके और छत्तीसगढ़ शासन के प्रमुख सचिव सोनमणि बोरा भी मौजूद रहे। बोरा को भी राज्य स्तर पर उल्लेखनीय प्रदर्शन के लिए राष्ट्रपति के हाथों सम्मान मिला।

154 जनजातीय गांव, 38 हजार परिवार, 25 योजनाओं का लाभ

‘धरती आबा जनजाति ग्राम उत्कर्ष अभियान’ के अंतर्गत कोरिया जिले के बैकुंठपुर के 138 और सोनहत के 16 ग्रामों समेत कुल 154 जनजातीय बहुल गांवों में लगभग 38 हजार परिवारों को 17 विभागों की 25 योजनाओं से जोड़ा गया।

डोर टू डोर संपर्क और शिविरों के जरिए लाभार्थियों को आयुष्मान कार्ड, पीएम जन धन, किसान सम्मान निधि, उज्जवला योजना, जाति-निवास प्रमाण पत्र, वनाधिकार पट्टा, राशन कार्ड, किसान क्रेडिट कार्ड, पीएम आवास, सिकल सेल टेस्टिंग, सुकन्या समृद्धि योजना और विमान बीमा जैसी योजनाओं का लाभ मिला।

नवाचारों और समयबद्ध क्रियान्वयन के चलते यह अभियान जनसहभागिता का प्रतीक बना।

राष्ट्र स्तर पर कोरिया के नवाचारों की सराहना

कोरिया जिले के प्रयासों को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलना पूरे जिले के लिए गर्व की बात है। यह उपलब्धि नवाचार, जनसहभागिता और सतत विकास की दिशा में जिले की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

मुख्यमंत्री का संदेश: बस्तर से सरगुजा तक हर जनजातीय परिवार तक विकास पहुंचे

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि यह सम्मान उन कर्मयोगियों को समर्पित है, जिन्होंने जनजातीय सशक्तिकरण को ज़मीन पर उतारा। राज्य सरकार का लक्ष्य है कि बस्तर से सरगुजा तक हर जनजातीय परिवार को मुख्यधारा से जोड़ा जाए।

योजनाओं की रोशनी हर घर तक पहुँचना ही असली सुशासन

आदिम जाति विकास मंत्री और कोरिया जिले के प्रभारी मंत्री रामविचार नेताम ने कहा कि यह सफलता अधिकारियों, फील्ड स्टाफ और जनप्रतिनिधियों की मेहनत का परिणाम है। उन्होंने कहा कि जब योजनाओं का लाभ सीधे आमजन तक पहुँचे, तभी उसे सुशासन कहा जा सकता है।

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