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व्यापक सुधारों के अभाव में संयुक्त राष्ट्र पर ‘भरोसे की कमी का संकट : मोदी

नईदिल्ली,  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि व्यापक सुधारों के अभाव में संयुक्त राष्ट्र पर ‘भरोसे की कमी का संकटÓ मंडरा रहा है। उन्होंने बहुपक्षीय व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया जो मौजूदा वास्तविकताओं को दर्शाए, सभी पक्षकारों की बात रखे, समकालीन चुनौतियों का समाधान दे और मानव कल्याण पर केंद्रित हो।

संयुक्त राष्ट्र की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर बुलाई गई महासभा की उच्च स्तरीय बैठक में सोमवार को अपने वीडियो संदेश में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यह कहा। प्रधानमंत्री मोदी ने बहुपक्षीय व्यवस्था में सुधार की मांग ऐसे वक्त उठाई है जब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के निर्वाचित अस्थायी सदस्य के रूप में भारत का दो वर्ष का कार्यकाल एक जनवरी 2021 से शुरू होने जा रहा है।

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मोदी ने कहा, ‘हम पुराने हो चुके स्वरूप के साथ आज की चुनौतियों का सामना नहीं कर सकते। व्यापक सुधारों के अभाव में संयुक्त राष्ट्र पर भरोसे की कमी का संकट मंडरा रहा है।Ó संयुक्त राष्ट्र के गठन के 75वर्ष पूरे होने के मौके पर, 193-सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा ने एक अग्रगामी राजनीतिक संकल्प को अपनाया, जिसमें आतंकवाद से निपटने के लिए तंत्र को मजबूत करने, बहुपक्षीय व्यवस्था में सुधार करने, समावेशी विकास और कोविड-19 महामारी जैसी चुनौतियों से निपटने की बेहतर तैयारी का आह्वान किया गया।

उन्होंने कहा, ”हमारी कार्यप्रणाली को बदलते वक्त के साथ बदलने और रफ्तार पकडऩे की आवश्यकता है। हम महासचिव द्वारा किए जा रहे सुधारों का समर्थन करते हैं … हम संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख निकायों में से तीन के सुधारों की अपनी बात दोहराते हैं।

हम सुरक्षा परिषद के सुधार पर चर्चाओं में नई जान फूंकने के लिए प्रतिबद्ध हैं और महासभा में नयी ऊर्जा भरने और आर्थिक तथा सामाजिक परिषद को मजबूत करने के लिए काम जारी रखेंगे। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टी. एस. तिरुमूर्ति ने संयुक्त राष्ट्र महासभा हॉल में प्रधानमंत्री मोदी के पहले से रिकॉर्ड भाषण की प्रस्तावना दी। सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता के लिए पांच स्थायी सदस्यों में से चार देशों -अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और रूस का व्यापक समर्थन है।

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