
रायपुर : छत्तीसगढ़ प्रदेश के कृषि एवं सिंचाई मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि हर बच्चे में टैलेंट होता है, बस उस टैलेंट को समझने की, उसे परखने की आवश्यकता होती है। इसलिए यह जरूरी हो जाता है कि बच्चे की जैसी रूचि हो वैसी ही शिक्षा उसे प्रदान की जाए ताकि वह अपने भविष्य की नींव मजबूती से रख सके। साथ ही कहा कि बच्चें ज्यादा नंबरों से पास हो अच्छी बात होगी परंतु खेल व अन्य रचनात्मक गतिविधियों में भी शामिल रहे यह बहुत अच्छी बात होगी।
उन्होंने यह बात गुजराती स्कूल में आयोजित स्टूडेंट एंड पेरेंट्स ऑफ द ईयर अवार्ड समारोह के दौरान कही इस समारोह में 9वीं, 10वीं, 11वीं, 12वीं में 90 फ़ीसदी से ज्यादा अंक पाने वाले 500 विद्यार्थियों एवं उनकी पालकों को मैडल व मोमेंटों देकर सम्मानित किया गया। गुजराती स्कूल देवेंद्र नगर में हुआ यह अवार्ड समारोह अखिल भारतीय युवा अग्रवाल सम्मेलन और गुजराती शिक्षण संस्थान द्वारा आयोजित था।
इस अवसर पर युवा अग्रवाल सम्मेलन के राष्ट्रीय अध्यक्ष योगेश अग्रवाल,बाल अधिकार आयोग की पूर्व अध्यक्ष शताब्दी पांडे,समाज सेवी कीर्ति व्यास,हनुमान प्रसाद,सौरभ त्रिवेदी,विशंभर प्रसाद,अजीत जी ,वर्षा जी,बजरंग अग्रवाल,सृजन मिश्रा,हनुमान प्रसाद अग्रवाल,महेश अग्रवाल, विनोद पाहवा,कमलेश शर्मा, राकेश अग्रवाल,गौतम मित्तल,तन्मय अग्रवाल, विश्वास अग्रवाल, बंटी गोयल आदि उपस्थित थे।बच्चों को संस्कारवान बनाये
अग्रवाल ने कहा कि आज के समय में संस्कार ही समाज और परिवार की सबसे बड़ी पूंजी है। जहां संस्कार नहीं है, वह समाज या परिवार बिखरा दिखाई पड़ता है। ऐसे में हमें चाहिए कि अपने बच्चों को संस्कारवान बनाये। इस बात को भी हम देखते हैं की आज की पीढ़ी के बच्चे रिश्ते-नाते व सामाजिक आयोजनों के महत्व को न समझते हुए उससे परहेज करते हैं।
जबकि यही पारिवारिक सामाजिक जुड़ाव व्यक्ति को एक बेहतर इंसान बनाने में सहायक होता है। अगर वह परिवार-समाज को नही जानेगा तो दुनियां कैसे जान पायेगा। ऐसे में हमें चाहिए कि अपने बच्चों को परिवार की महत्ता बताते हुए उसे रिश्तों से जोड़े रखे।
बच्चों के सामने न करें नकारात्मक बातें अग्रवाल ने उपस्थित पालकों को संबोधित करते हुए कहा कि वह अपने बच्चों के सामने ना नकारात्मक बातें करें और ना ही किसी से उनकी तुलना करें। दूसरों के नंबर ज्यादा है तुम्हारे कम जैसी बातें भी उनसे न करें। क्योकि आज के समय में केवल अच्छे नंबर पा लेना ही सफलता की गारंटी नहीं है। सफलता के लिए अब प्रतियोगी परीक्षाओं से गुजरना होता है। उनके सामने अपनी राय जरूर रखे और समझाये पर दबाव न डाले।
उन्होंने अपने परिवार का उदाहरण देते हुए कहा कि एक बेटा इंजीनियर,बेटी डॉक्टर और एक बेटा वकील है। बेटी और छोटा बेटा दोनों ही इंजीनियर बनना चाहते थे, पर मैने उनके सामने अपनी राय रखी। उन दोनों ने 1-2 माह का समय लिया कि वे मेरी इच्छानुसार पढ़ाई कर पाएंगे या नही। उन्होंने यह भी सोंचा की पापा ज्यादा अनुभवी है जो कहेंगे बेहतर ही होगा। इस बात को भी ध्यान में रखकर सोंच समझ कर मेरे मन के अनुसार उन्होंने आगे की पढ़ाई पूरी की।