महासमुंद : शहर के बैंकों में नगदी का कोई संकट नहीं है लेकिन बड़े नोटों का संकट जरूर है। अधिकांश बैंकों में जमा होने वाली राशि में बड़े नोटों की जगह छोटे नोटों की तादाद ज्यादा है जिससे बैंकों को ग्राहकों को बड़ी रकम का वितरण करने के लिए छोटे नोटों का ही इस्तेमाल करना पड़ रहा है और यही नोट ग्राहकों की सुविधा के लिए वे एटीएम में भी डाल रहे हैं।
‘संवाद साधना’ ने बुधवार को नोटों की किल्लत की समस्या को लेकर शहर स्थित विभिन्न बैंकों के प्रबंधकों से चर्चा की तो यह बात सामने आई जिसमें एसबीआई के बैंक प्रबंधक रामदास मांझी ने बताया कि दिसंबर के बाद से उन्हें आरबीआई द्वारा समय-समय पर होने वाली नोटों की सप्लाई के लिए छोटे नोट 200, 100, 50, 20 और 10 की सप्लाई ही सबसे अधिक की जा रही है जबकि 500 के नोट की सप्लाई बहुत कम तादाद में हुई है इसके साथ ही 2000 के नोट की सप्लाई तो आरबीआई द्वारा की ही नहीं जा रही है।
छोटे नोटों की तादाद ज्यादा है
श्री मांझी का कहना है कि जिस तरह देश के कुछ प्रदेशों में पिछले कुछ दिनों से नोटों की किल्लत की बात सामने आ रही है। इस हिसाब से यहां स्थिति सामान्य है लेकिन बड़े नोटों का संकट जरूर है जिससे लेन-देन करने व एटीएम में पर्याप्त राशि डालने में थोड़ी दिक्कत जरूर आ रही है।
अन्य बैंकों के प्रबंधकों से हुई चर्चा में उन्होंने बताया कि उनके यहां लेन-देन की स्थिति सामान्य है बड़े नोटों की व्यवस्था स्थानीय या फिर मुख्य शाखा से मांग कर पूरी कर लेते हैं उनका कहना है कि एसबीआई जैसे बड़े बैंकों की तरह उनके यहां लेन देन बहुत कम है और ग्राहक की सुविधा के लिए केवल इक्के-दुक्के एटीएम हंै जिसका उपयोग उपभोक्ता काफी कम करते हैं जिसके चलते बड़े नोट की समस्या कम है। हालांकि कुछ बैंक बड़े नोटों की किल्लत से थोड़े परेशान है।
कैशलेस लेन-देन की जगह नगदी लेन-देन से नहीं है
शहर में बड़े नोटों की संकट की वजह बैंक प्रबंधक नगदी लेन-देन को मान रहे हैं। उनका मानना है कि उपभोक्ता ज्यादातर नगदी से लेन-देन करने में विश्वास करते हैं जिससे नोटों की खपत बढ़ती जा रही है। कैशलेस लेन-देन को लेकर अभी भी लोगों में जागरूकता का अभाव है जिसकी वजह से बैंकों में आवक के हिसाब से नोटों की जावक काफी अधिक है। खासकर अप्रैल माह से नगदी लेन-देन काफी अधिक बढ़ी है जिससे भी समस्या उत्पन्न हुई है।
आने वाले दिनों में हो सकती है समस्या
शहर के बैंक प्रबंधनों की मानें तो फिलहाल, यहां नगदी संकट की कोई समस्या नहीं है। लेकिन भविष्य में नगदी संकट की समस्या उत्पन्न भी हो सकती है जिसकी वजह बाजार में बड़े नोटों की घटती संख्या है। जानकारों की मानें तो नोटबंदी के बाद एक बार फिर से बड़े नोटों को सेव करने की कवायद शुरू हो गई,
क्योंकि नोटबंदी के बाद जिस हिसाब से नए नोट जारी किए गए थे उस हिसाब से बड़े नोट बाजार के चलन में नहीं दिख रहे हैं और आरबीआई द्वारा जारी नए नोट भी बाजार में उतारने के बाद से कम होते जा रहे हैं केवल पुराने नोट ही अधिक मात्रा में चलन में है।