कोंडागांव दौरे में संवेदनशीलता और सख्ती का मिला-जुला रूप दिखा मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े का

रायपुर। महिला एवं बाल विकास तथा समाज कल्याण मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े का हालिया कोंडागांव दौरा महज़ एक औपचारिक निरीक्षण नहीं रहा, बल्कि एक भावनात्मक जुड़ाव और व्यवस्था सुधार का जीवंत उदाहरण बन गया।
अपने प्रवास के दौरान मंत्री राजवाड़े ने जिले में संचालित नशा मुक्ति केंद्र, आंगनबाड़ी, सखी वन स्टॉप सेंटर, हॉफवे होम और बालिका गृह का दौरा किया। उन्होंने न सिर्फ योजनाओं के क्रियान्वयन का जायजा लिया, बल्कि हर जगह मानवीय संवेदनाओं के साथ संवाद भी किया।
नशा मुक्ति केंद्र में दी उम्मीद की किरण
बनियागांव स्थित नशा मुक्ति केंद्र पहुंचकर मंत्री ने नशे से जूझ रहे मरीजों से मुलाकात की। उन्होंने उनसे आत्मीय संवाद किया और समझाया कि जीवन में सुधार की राह हमेशा खुली रहती है। उनके शब्दों में दृढ़ता भी थी और अपनापन भी।
आंगनबाड़ियों में बच्चों से मिली मासूम खुशी
बच्चों की कविताओं, कहानियों और शैक्षिक उत्तरों ने मंत्री को इतना प्रभावित किया कि उन्होंने बच्चों को चॉकलेट बांटी और खुले दिल से उनकी प्रशंसा की। उन्होंने पोषण आहार की गुणवत्ता का भी जायजा लिया और स्वच्छता को लेकर अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए—”किचन और बाथरूम की नियमित सफाई अनिवार्य है।”
सखी सेंटर और हॉफवे होम में संवेदना से भरी पहल
सखी वन स्टॉप सेंटर में काउंसलिंग प्रक्रिया का अवलोकन करते हुए उन्होंने कहा कि पीड़ित महिलाओं को न सिर्फ सुरक्षा बल्कि मानसिक संबल भी मिलना चाहिए। वहीं, हॉफवे होम में उन्होंने अन्य राज्यों से आए लोगों की जानकारी ली और उन्हें सुरक्षित उनके घर तक पहुंचाने की व्यवस्था सुनिश्चित करने को कहा।
बालिका गृह में बेटियों का हौसला बढ़ाया
बालिका गृह में रह रही छात्राओं की खेल व पढ़ाई में रुचि देखकर मंत्री मुस्कुरा उठीं। उन्होंने बेटियों को प्रेरित करते हुए कहा, “तुम सब में अपार संभावनाएं हैं, बस आगे बढ़ते रहो।”
इस निरीक्षण यात्रा के दौरान महिला एवं बाल विकास विभाग के संचालक पीएस एल्मा, एसडीएम अजय उरांव और कई अन्य अधिकारी उपस्थित रहे। मंत्री के इस दौरे ने यह स्पष्ट किया कि जब नेतृत्व में मानवीय दृष्टिकोण जुड़ जाए, तो योजनाएं सिर्फ कागज़ पर नहीं, ज़मीन पर असर दिखाती हैं।