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झोपड़ी से पक्के आशियाने तक की कहानी: संतु चक्रेस की आंखों में अब सपनों की चमक है

रायपुर। जिंदगी भर मिट्टी की दीवारों और फूस की छत तले जिंदगी गुजारने वाले संतु चक्रेस की किस्मत ने अब करवट ली है। 70 साल के इस बुजुर्ग की आंखों में अब सिर्फ संतोष नहीं, बल्कि आत्मसम्मान की भी झलक है। वजह है—प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण, जिसने उनके लिए एक ऐसा घर बनाया, जो अब सिर्फ ईंट-पत्थर का ढांचा नहीं, बल्कि उनके सपनों और सुरक्षा की नींव बन चुका है।

जशपुर जिले के कांसाबेल विकासखंड के ग्राम दोकड़ा में रहने वाले संतु चक्रेस को हाल ही में अपने जीवन का पहला पक्का घर मिला। खास बात ये रही कि इस घर की चाबी उन्हें खुद मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने अपने हाथों से सौंपी। इस क्षण ने संतु के जीवन में एक ऐसा मोड़ ला दिया, जिसे शब्दों में बयां करना मुश्किल है।

भावुक होकर उन्होंने कहा, “उम्र के इस पड़ाव पर जहां चिंता से मुक्त जीवन की चाह होती है, वहां ये मकान मेरे लिए किसी वरदान से कम नहीं। अब न बारिश का डर है, न रात को सांप-बिच्छुओं की चिंता। अब हम भी चैन की नींद सो सकते हैं।”

संतु चक्रेस के लिए यह पक्का घर केवल एक आवास नहीं, बल्कि उनके जीवन में पहली बार मिला स्थायित्व, आत्म-सम्मान और सुरक्षा का प्रतीक बन चुका है। वर्षों तक तिरपाल और टाट के सहारे गुजर-बसर करने वाले इस बुजुर्ग के लिए यह बदलाव किसी सपने के सच होने जैसा है।

प्रधानमंत्री आवास योजना न सिर्फ घर दे रही है, बल्कि लोगों की जिंदगी में उम्मीदों की नई नींव भी रख रही है। और संतु चक्रेस की मुस्कुराहट इस बदलाव की सबसे सच्ची गवाही है।

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