नई दिल्ली : इफ्तार के जरिए पहली बार हो रही तीन तलाक पीडि़त महिलाओं का दर्द बांटने की शुरुआत
नई दिल्ली : मोदी सरकार में वैसे तो समाज के हर वर्ग की महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए काम किए जा रहे हैं। लेकिन यौन उत्पीडऩ, आर्थिक तंगी और तीन तलाक जैसी परेशानियों से जूझ रही महिलाओं को मोदी सरकार का काफी साथ मिला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर केंद्रीय मंत्री तक महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए कोई न कोई कदम उठाते रहते हैं, ताकि वे खुद को अकेला और कमजोर ना समझें।
इसी मुहिम के तहत केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी आज तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) पीडि़त महिलाओं के लिए इफ्तार का आयोजन करने जा रहे हैं। रमजान का पाक महीना चल रहा है। ईद को अब कुछ ही दिन बचे हैं। ऐसे में नकवी तीन तलाक पीडि़त महिलाओं के लिए आज इफ्तार का आयोजन कर रहे हैं, जिसमें इन महिलाओं के अलावा उनके परिवार के सदस्य भी शामिल होंगे। आज मंत्री के आवास (7 सफदरजंग रोड) पर इफ्तार का आयोजन किया गया है।
तीन तलाक जैसी परेशानियां
सूत्र ने बताया कि इस इफ्तार के लिए करीब सौ महिलाओं को आमंत्रित किया गया है, जिनमें कई तीन तलाक पीडि़त महिलाएं भी शामिल हैं। वैसे यह पहली बार है कि सरकार के किसी मंत्री या भाजपा के किसी नेता की तरफ से विशेष तौर पर मुस्लिम महिलाओं के लिए इफ्तार का आयोजन किया जा रहा है। बता दें कि लोकसभा में तीन तलाक के संबंधित बिल को पेश करते केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा था कि ये कानून महिलाओं के अधिकार और न्याय के लिए है, किसी प्रार्थना, धर्म या धार्मिक प्रथाओं से संबंधित नहीं है। हम एक ऐसी व्यवस्था बनाना चाहते हैं जिसमें मुस्लिम समाज की महिलाएं सम्मान के साथ जिंदगी बिता सकें। इसके साथ ही इस कानून के जरिए दशकों से पीडि़त मुस्लिम महिलाओं को अधिकार देने का प्रावधान किया गया है।
तीन तलाक बिल में प्रावधान
तलाक ए बिद्दत यानि कि एक ही बार में तीन तलाक बोलने पर शौहर को तीन साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है। पीडि़त महिला अपने नाबालिग बच्चों की कस्टडी और गुजारा भत्ते का दावा भी कर सकेगी। एक बार में तीन तलाक किसी भी सूरत में गैर कानूनी माना जाएगा। इसमें बोलकर या वाट्सऐप, ईमेल और एसएमएस के जरिए तीन बार तलाक देना शामिल है।तीन तलाक की जंग को इन महिलाओं ने अंजाम तक पहुंचाया 35 वर्षीय शायरा बानो की शादी इलाहाबाद के रहने वाले वाले रिजवान अहमद से हुई थी। वह मूल रूप से उत्तराखंड के काशीपुर की रहने वाली हैं। शादी के बाद 15 साल बाद उनके पति ने 2015 में तीन तलाक बोलकर रिश्ता खत्म कर दिया। इसके बाद शायरा ने 2016 में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
सजा और जुर्माने का प्रावधान
अपनी याचिका में उन्होंने तलाक-ए बिदत, बहुविवाह और निकाह हलाला को गैरकानूनी घोषित करने की मांग की। शायरा के दो बच्चेा भी हैं। 30 वर्षीय इशरत जहां पश्चिम बंगाल के हावड़ा की रहने वाली हैं। उनके पति ने दुबई से ही फोन पर तलाक देकर रिश्ता खत्म कर दिया। इसके बाद उन्होंने 2016 में सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। उनके चार बच्चे हैं। उन्होंने अपने पति पर बच्चों को जबरन अपने पास रखने का आरोप लगाया है। इशरत के पति दूसरी शादी कर ली है। उन्होंने अपनी याचिका में बच्चों को वापस दिलाने और पुलिस सुरक्षा दिलाने की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि तीन तलाक गैरकानूनी है और मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों का हनन है। जाकिया सोमन भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन की संस्थापक हैं।
2016 में सुप्रीम कोर्ट का रुख किया
उनकी संस्था ने लगभग 50 हज़ार मुस्लिम महिलाओं के हस्ताक्षर वाला एक ज्ञापन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंपा था। ज्ञापन में तीन तलाक को ग़ैर क़ानूनी बनाने की मांग की गई थी। इस पर मुस्लिम समाज के कई पुरुषों ने भी हस्ताक्षर किए थे। यह संस्था पिछले 11 सालों से मुस्लिम महिलाओं के बीच काम कर रही है। राजस्थान के जयपुर की रहने वालीं 26 वर्षीय आफरीन रहमान ने एक मैट्रिमोनियल पोर्टल के जरिए 2014 में शादी की थी। हालांकि दो-तीन महीने बाद ही उनके ससुराल वालों ने दहेज को लेकर मानसिक रूप से प्रताडि़त करना शुरू कर दिया। इसके बाद वह अपने माता-पिता के पास वापस लौट आईं। पिछले साल मई में उन्हें स्पीाड पोस्टन के जरिए एक खत मिला, जिसमें तलाक का एलान किया गया था। इसके बाद उन्होंने कोर्ट का रुख किया।