नईदिल्ली : पापा से किया वादा पूरा कर खुश हूं: मुक्केबाज गौरव

नई दिल्ली : आस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में आयोजित राष्ट्रमंडल खेलों में जाने से पहले भारतीय मुक्केबाज गौरव सोलंकी ने अपने पिता से वादा किया था कि वह सोने का तमगा लेकर लौटेंगे। अंतत: गौरव अपना वादा पूरा सके और गले में स्वर्ण पदक लेकर ही लौटे। भारत लौटने के बाद हरियाणा के युवा मुक्केबाज गौरव ने कहा कि उन्हें पूरा भरोसा था कि वह अपने पिता से किया हुआ वादा पूरा कर पाएंगे और जबकि वह अपना वादा पूरा करने में सफल रहे हैं, उन्हें इसकी काफी खुशी है।
गौरव ने मुक्केबाजी में पुरुषों की 52 किलोग्राम भारवर्ग स्पर्धा के फाइनल में उत्तरी आयरलैंड के ब्रेंडन इर्वाइन को 4-1 से मात देते हुए सोने का तमगा हासिल किया था। गौरव पहली बार राष्ट्रमंडल खेलों में हिस्सा ले रहे थे और पहली बार में ही
उन्होंने सोने पर निशाना साधा
बकौल गौरव, बहुत अच्छा लग रहा है कि मैंने जो वादा किया था वो पूरा कर सका। मुझे मेरी मेहनत पर विश्वास था। मैंने काफी मेहनत की थी और तैयारी अच्छे से की थी और उसी के दम पर मुझे विश्वास था कि मैं स्वर्ण से कम कुछ नहीं जीतूंगा।पहली बार राष्ट्रमंडल खेलों के दबाव के बारे में पूछे जाने पर भिवानी के इस मुक्केबाज ने कहा, मुझ पर किसी तरह का दबाव नहीं था। भारत के बाकी के मुक्केबाज अनुभव और उम्र के मामले में मुझसे आगे थे। मैं सबसे छोटा था। मुझ पर किसी तरह का दबाव नहीं था। मैं फ्री होकर खेल सकता था और मैंने ऐसा ही किया।
दम पर मुझे विश्वास था
मुक्केबाजी में कदम गौरव ने अपने ही शहर के दिग्गज मुक्केबाज विजेंदर सिंह को देख कर रखा। खेल में अपने प्ररेणा स्त्रोत के बारे में पूछे जाने परे गौरव ने कहा, विजेंदर जैसे खिलाडिय़ों को टीवी पर देखते तो लगता था कि एक दिन मुझे भी यहां तक जाना है।हर किसी खिलाड़ी की तरह गौरव भी अपने गले में ओलम्पिक पदक देखना चाहते हैं। वो जानते हैं कि उन्हें इसके लिए काफी मेहनत करनी है और इसके लिए वो तैयार भी हैं।
अपने गले में ओलम्पिक पदक देखना चाहते हैं
उन्होंने कहा, अभी एक ओलिम्पक पदक विजेता बनने के लिए काफी सुधार करना है। बहुत कमियां हैं जिन पर काम करने की जरूरत है। मुझे अपनी स्ट्रेंथ पर काम करना है और ताकत बढ़ानी है।राष्ट्रमंडल खेलों के बाद अब हर खिलाड़ी के लिए एशियाई खेल बड़ी चुनौती है। गौरव भी इस बात को जानते हैं। वो चाहते हैं कि खेलों से पहले उन्हें देश के बाहर जा कर खेलने और अभ्यास करने का मौका मिले।उन्होंने कहा, मैं चाहता हूं कि मौके मिले। बाहर जा कर बाहर के खिलाडिय़ों के खिलाफ खेलूं। उससे मुझे अच्छी प्रतिस्पर्धा मिलेगी और एक तरह का अलग आत्मविश्वास भी मिलेगा।
गौरव भी इस बात को जानते हैं
गौरव मानते हैं इस समय भारत के मुक्केबाज बाकी देशों के मुक्केबाजों से बेहतर हैं और इसका कारण हालिया दौर में मुक्केबाजी महासंघ का गठन होना है जो चार साल के अंतराल के बाद अस्तित्व में आई है।
बकौल गौरव, अभी देखा जाए तो भारत काफी आगे है। बाकी के देश भी मुक्केबाजी में भारत को इस समय बेहतर मानते हैं और जब से फेडरेशन आई है खेल का स्तर काफी ऊपर गया है। इस समय बाकी देशों को भारत के खिलाफ होने वाले मुकाबले से पहले सोचना पड़ता है।
अभी देखा जाए तो भारत काफी आगे है
राष्ट्रमंडल खेलों में गौरव को ज्यादा कठिनाई नहीं हुई उनके अधिकतर मुकाबलों में एकतरफा जीत मिली। अपने प्रतिद्वंदियों के बारे में गौरव ने कहा कि वो सभी अपने देश को शीर्ष मुक्केबाज थे, लेकिन उनकी तैयारी ही इतनी अच्छी थी की उन्होंने अपने विपक्षियों को एकतरफा मात दी। उन्होंने कहा, विपक्षी खिलाड़ी कोई भी हल्का नहीं होता। वो सब अपने देश के शानदार खिलाड़ी थे। मैंने तैयारी ही ऐसी की थी। मैंने जाने से पहले अपने विपक्षी खिलाडिय़ों के वीडियो देखे थे और उनके खिलाफ कैसे खेलना या क्या रणनीति के साथ जाना यह सब तैयार करके गया था।