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नईदिल्ली : खरीदने-बेचने से बढक़र भारत में उत्पादन करे रूस

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत-रूस बिजनस समिट को संबोधित करते हुए एक ओर अपनी सरकार की आर्थिक उपलब्धियां गिनाईं तो दूसरी ओर भारत-रूस के बीच व्यापारिक संबंधों को विस्तार देने के अवसरों का भी उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने रूस के व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल से भारत में बिजनस के विशाल मौकों का लाभ उठाने की अपील की। मोदी ने मेक इन इंडिया पर पुतिन को इशारों-इशारों में बड़ी बात कह दी। उन्होंने कहा कि खरीदने-बेचने वाले रिश्ते से आगे बढ़ते हुए रूस अब भारत में उत्पादन करे।

मेक इन इंडिया में शामिल हो रूस: मोदी

रूस हमारे लिए पारंपरिक ऊर्जा का एक बड़ा स्रोत तो बन ही सकता है। साथ ही हम यह भी चाहेंगे कि वह न्यू और रीन्यूएबल एनर्जी केअभियान में भी शामिल हो। हम दोनों देश न्यूक्लियर एनर्जी के क्षेत्र में मित्र समान हैं। उन्होंने कहा, अब हम टेक्नॉलजी खरीदने-बेचने वाले ही नहीं, बल्कि हम साथ मिलकर उन सामानों का भारत में उत्पादन के लिए विशेष कार्य कर सकते हैं। उसी प्रकार हम रक्षा के क्षेत्र में अपनी पुरानी साझेदारी और समझदारी को आगे बढ़ाते हुए मेक इन इंडिया के तहत भारत में उत्पादन कर सकते हैं। हम चाहते हैं कि रूस भारत में डेडिकेटेड डिफेंस पार्क खोले।

 

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मोदी ने रूस से भारत में व्यापारिक मौकों का लाभ उठाने की भी अपील की। उन्होंने कहा, हम आपको भारत में बन रही विशाल बिजनस अपॉर्च्युनिटी का लाभ उठाने के लिए आमंत्रित करते हैं। सागरमाला कार्यक्रम, जिसके जरिए हम समुद्री तटों और देश के प्रादेशिक क्षेत्रों को जोडऩा चाहते हैं। यह आपके लिए अच्छा अवसर है। 50 शहरों में मेट्रो रेल की शुरुआत करना चाहते हैं। रेल ऐंड रोड का कार्यक्रम बहुत ही विशाल है, इसका हमें लगातार विस्तार करना है। देश में मौजूद पोर्ट और एयरपोर्ट के आधुनिकीकरण के साथ ही नए पोर्ट एवं एयरपोर्ट की स्थापना भी हमारे अजेंडे में है।

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मोदी ने कहा कि 2017-18 में भारत का रूस के साथ व्यापार 20 प्रतिशत बढ़ा है। इसी से उत्साहित होकर सरकार लगातार प्रयासरत है कि रूस का भारत में निवेश और बढ़े। रूस की कंपनियों को भारत में निवेश करने में सुविधा हो, इसके लिए हमने रसिया प्लस नाम से एक व्यवस्था खड़ी की है। दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग बढ़ाने के लिए जॉइंट वर्किंग ग्रुप काम कर रहे हैं। 23 प्रॉजेक्ट्स की पहचान भी हो चुकी है।

आर्थिक सुधार कार्यक्रमों का जिक्र

प्रधानमंत्री ने अपनी सरकार के चार सालों में आर्थिक सुधार कार्यक्रमों के कारण भारत की प्रगति का जिक्र किया। मोदी ने कहा, चाहे घरेलू नीति हो या विदेश नीति में भारत की छवि, चाहे आर्थिक प्रगति हो या टेक्नॉलजी का विस्तार, चाहे सुधार कार्यक्रम हो, ईज ऑफ डुइंग बिजनस हो, चाहे इन्वेस्टर फ्रेंडली माहौल बनाना हो या बिजनस फ्रेंडली पॉलिसीज, सभी क्षेत्रों में भारत एक स्थिर अर्थव्यवस्था का मॉडल बन रहा है। रेग्युलेटरी ढांचा भी ज्यादा सक्षम, ज्यादा पारदर्शी और ज्यादा स्थिर है। पिछले साल लागू किया गया जीएसटी बहुत बड़ा कदम है। इससे भारत में टैक्स व्यवस्था ज्यादा पारदर्शी हुई है।

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उन्होंने कहा, वर्ल्ड बैंक की ईज ऑफ डुइंग बिजनस की रैंकिंग में भारत तीन साल में 42 स्थान ऊपर गया है। वर्ल्ड इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी ऑर्गनाइजेशन (डब्ल्यूआईपीओ) की ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में भारत 21 स्थान ऊपर उठा है। वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम के ग्लोबल कंपिटिटिवनेस इंडेक्स में हम दो साल में 31 स्थान ऊपर गए हैं। भारत अंकटाड द्वारा लिस्ट किए गए टॉप 10 एफडीआई डेस्टिनेशन में से एक है। प्रधानंत्री ने कहा कि ऐसे परिवर्तन तब आते हैं जब बिल्कुल जमीनी स्तर पर जाकर फैसले लिए जाते हैं और दूरदर्शी सोच के साथ नीतियां बनाई जाती हैं और निर्णय लागू किए जाते हैं।

4.0 की ओर बढ़ चुकी है आईटी इंडस्ट्री: मोदी

मोदी ने मेक इन इंडिया कार्यक्रम में रूस के लिए मौकों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, हमारी सरकार की योजना मेक इन इंडिया जैसे विशेष कार्यक्रमों के माध्य से भारत को मैन्युफैक्चरिंग और रिसर्च के क्षेत्र में ग्लोबल हब बनाने की है। भारत कम लागत पर मैन्युफैक्चरिंग करने का अपना धरातल लगातार बढ़ा रहा है।

हमारी आईटी इंडस्ट्री बहुत बड़ी ताकत के तौर पर काम कर रही है। टेक्नॉलजी में नए आविष्कार के क्षेत्रों, जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, थ्रीडी प्रिंटिंग, रोबॉटिक्स आदि के जरिए इंडस्ट्री 4.0 की तरफ आगे बढ़ चुका है। भारत में अगली पीढ़ी के बुनियादी ढांचे के लिए भी चौतरफा काम हो रहा है। स्पीड, स्केल और स्किल पर जोर देते हुए हम 21वीं सदी की आवश्यकताओं को समझते हुए आगे बढ़ रहे हैं।
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